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किसान साई जुडी खबरे !

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    Rashtriya Kisan Manch

    Tweets by orgrkmkisan

    आयुर्वेद

    पियरे कार्डिन: वो आदमी, जिसने पहली बार कहा- फैशन भी बिज़नेस है
    “मैं अपने नाम के साबुन से हाथ धोता हूं. अपने नाम का परफ्यूम लगाता हूं. अपने नाम की चद्दर पर सोता हूं. अपने नाम पर ही जीता हूं.”
    जिसके नाम-नाम की इतनी बात हो रही, उसका नाम है क्या? कार्डिन. पियरे कार्डिन. मशहूर फ्रांसीसी फैशन डिज़ाइनर, जिन्होंने पहली बार फैशन को बिज़नेस से जोड़ा था. जिन्होंने पहली बार ये सोचा था कि साब, फैशन में भी तो बिज़नेस हो सकता है. कार्डिन नहीं रहे. 29 दिसंबर को उनका निधन हो गया. वे 98 साल के थे. कार्डिन के सफरनामे पर भी बात करेंगे. लेकिन पहले उनसे जुड़ा एक किस्सा आपसे साझा करते हैं, ताकि आप भी उनकी शख़्सियत समझ सकें.

    फ्रांसीसी डिज़ाइनर, जो साड़ी का मुरीद था

    इंडियन एक्सप्रेस में छपा एक किस्सा आपको बताते हैं. 1972 की बात है. वेनिस शहर में एक कार्यक्रम हुआ. ‘ईस्ट मीट्स वेस्ट’ नाम से. दुनिया के कोने-कोने से तमाम कलाकार, डिज़ाइनर्स वगैरह जुटे. उस समय भारत में सिमी ग्रेवाल का बड़ा नाम हुआ करता था. और देश-दुनिया के फैशन में पियरे कार्डिन का. लिहाजा कुछ फोटोग्राफर्स इन दोनों की साथ में तस्वीरें लेना चाहते थे. कार्डिन और ग्रेवाल का आमना-सामना हुआ. ग्रेवाल ने साड़ी पहन रखी थी. फ्रांस के डिज़ाइनर कार्डिन के पहले शब्द थे– “आप साड़ी में काफी खूबसूरत लग रही हैं.” कुछ बरस बीते. कार्डिन भारत आए. फिर सिमी ग्रेवाल से सामना हुआ. इस बार सिमी किसी वेस्टर्न ड्रेस में थीं. कार्डिन फौरन बोले– “साड़ी कहां है?”
    December 31, 2020
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    ऑस्ट्रेलिया टूर से बाहर हुए उमेश की जगह तीसरे टेस्ट में कौन खेलेगा?
    मेलबर्न जीतने के बाद सिडनी के लिए तैयार टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा है. सीनियर पेसर उमेश यादव बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से बाहर हो गए हैं. उन्हें बॉक्सिंग डे टेस्ट के तीसरे दिन बोलिंग करते हुए चोट लग गई थी. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के दौरान अपना चौथा ओवर फेंकते वक्त उमेश एकाएक लंगड़ाने लगे. उन्होंने तुरंत ही फिजियो को बुलाया. लेकिन फिजियो के आने के बाद भी उनकी समस्या दूर नहीं हुई. वह लंगड़ाते हुए मैदान से बाहर चले गए.
    December 31, 2020
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    कृषी यन्त्र

    कीटनाशक छिड़काव

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    January 5, 2021
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    ग्राम

    किसानों के अधिकारों का हो रहा शोषण !

    लखनऊ। 11 अक्टूबर 2017! राष्ट्रीय किसानमंच (कृषक सेवा समिति) ने गन्ना किसानो की समस्याओ को लेकर आज गन्ना आयुक्त के कार्यलय में जबरदस्त प्रर्दशन कर घेराव किया। प्रर्दशनकारियो ने सरकार विरोधी नारे लगाते हुए अपनी मांगो पर त्वरित कार्यवाही करने की मांग की। इस मौके पर किसानो को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने कहा कि आज के दौर में भी गन्ना किसानो के लिए अपनी फसल का मूल्य पाना नाको चने चबाने जैसा है। 1800 करोड से उपर निजी चीनी मिलो पर बकाया है। पिछली सरकार में भी उनसे ये भुगतान सरकार नहीं करवा पायी कई बार कोर्ट के निर्देश पर भी ना ही सरकारो ने चीनी मिलो के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया और न ही कोई सरकारी दबाव बनवाया। गन्ना किसान बैको से कर्जा लेकर फसल उत्पादन करता है।

    परन्तु समय पर पैसा न मिलने के कारण लाभ तो दूर की बात है कर्ज चुकाने में ही अपना जीवन बिता रहा है। सरकार ये तो बता रही है कि सहकारी चीनी मिलो पर 180 करोड का बकाया बाकी है परन्तु निजी चीनी मिलो के बकाए के विषय में कोई बात नहीं कर रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पूर्वोत्तर की तरह यह सरकार भी चीनी मिल मालिको को शरण दे रही है और किसानो को आॅकडो में उलझा रही है ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार चीनी मिल मालिको के मिली भगत और इशारो पर काम करने लगी है। हाल ही में जब गन्ना आयुक्त के वहाॅ चीनी मिल मालिको और उत्तर प्रदेश से आए समस्त किसान भाइयो की बैठक हुई उसमें 5 घण्टा 45 मिनट चीनी मिल मालिक बोले और 15 मिनट उत्तर प्रदेश के सभी किसान भाईयो के प्रतिनिधि। उनका कहना था कि किसानो के बकाए भुगतान के सरकारी दावे आज भी कागजीय है। उन्होंने कहा कि कडी मेहनत के बाद खेत में गन्ना उगाने वाले किसान को आज भी उसकी मिठास का एहसास नहीं हो पाता है। श्री दीक्षित ने कहा कि किसानो के नाम पर सत्ता में काबिज हुई सरकार किसानो के साथ सिर्फ आॅकडो की बाजीगरी कर रही है, और उनके अधिकारी किसानो के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे है। गरीब किसानो को वर्तमान सरकार से बहुत अपेक्षाए थी लेकिन अब पानी सिर के उपर पहुॅच रहा है। राष्ट्रीय किसानमंच अब शान्त नहीं रहने वाला है।

    गन्ना आयुक्त कार्यालय में राष्ट्रीय किसान मंच ने सात सूत्रीय ज्ञापन भी सौपा जिसमें मंहगाई के दौर में गन्ना सर्मथन मूल्य बढाने ,बकाया भुगतान तुरन्त कराने और यदि उसमें विलम्ब होता है तो ब्याज के साथ भ्ज्ञुगतान कराने का प्राविधान सख्ख जाए। प्रत्येक गन्ना उत्पादक जनपद में किसान भवन बनाने, किसानो की मिल पर पेयजल, टीन शेड, शौचालय आदि की मूलभूत जरूरतो को पूरा किए जाने किसानो की ट्रालियाॅ गाडियो को मिल पर पहॅुचने के बाद निश्चित समय पर खाली किए जाने आदि मांगो का ज्ञापन सौपा गया। प्रर्दशन में सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, बाराबंकी, पीलीभीत के किसानो ने बडे पैमाने पर अपनी उपस्थित दर्ज करायी।
    धरना प्रर्दशन में प्रदेश अध्यक्ष प्रशान्त तिवारी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि गन्ना किसानो की समस्याओ का समाधान जब तक नहीें हो जाता वो विभाग को शांत नहीं बैठने देंगे। जब तक किसानो की मांग पूरी नहीं होती तब तक पूरे प्रदेश में प्रर्दशन चलते रहेंगे।

    प्रर्दशन में मुख्य रूप से राष्ट्रीय महासचिव वसीम खान, अनिल चैबे, संगठन मंत्री संजय कुमार, महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष ऋचा चर्तुवेदी, गरिमा वर्मा, शीतल, लखनऊ मंडल के मोहित मिश्रा, प्रदीप पाण्डेय, सीतापुर जनपद के जिलाध्यक्ष शिव प्रकाश सिंह,घनंजय अवस्थी, वेद प्रकाश मिश्रा, प्रताप मिश्रा, सचीन्द्र जी, हरदोई से डा0 जे0बी सक्सेना और बाबू लाल सक्सेना, अर्जुन सिंह, उन्नाव के जिलाध्यक्ष सर्वेश पाल, सादिक अली विभिन्न ब्लाक एंव तहसील अध्यक्षो ने भी बडे पैमाने पर धरने में सहभागिता निभाई। इनमें सीतापुर के धूम सिंह, ओम प्रकाश गुप्ता, सनोज मिश्रा, डा0 जी0एल वर्मा, जिलाध्यक्ष पीलीभीत, डा0 हीरा लाल वर्मा एंव लखीमपुर खीरी,के जिलाध्यक्ष आलोक कुमार दुबे बहराइच जिलाध्यक्ष आन्नद अवस्थी सुरेन्द्र कुमार चैरसिया प्रदेश महासचिव, नितेश मिश्रा, प्रसून शुक्ला, संजय सिंह, विशाल संडीला, मन्नू दादा संडीला, व समस्त किसान भाई एंव प्रदेश भर से आए हुए गन्ना किसानो के राष्ट्रीय किसानमंच के प्रतिनिधि शामिल हुए।

    संजय कुमार
    संगठन मंत्री (रा0कि0मं)

    December 30, 2020
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    बैंक हैं या हत्यारे?

    चेन्नई के एक किसान भाई गणसेकरन ने लोन पर ट्रैक्टर लिया था, आठ लाख का पर हालातों के चलते वो उसे चुकाने में असफल रहा।
    लोन ना चुका पाने के एवज में जब भारतीय स्टेट बैंक के एजेंट उनके यहाँ ट्रैक्टर को लेने पहुंचे, तो थोड़ी हाथापाई होने लगी जो लाज़मी थी। किसान न जाने कितने सपने देख कर, पाई पाई जुटा कर कोई चीज़ खरीदता है और फिर अपने खून पसीने को एक कर के खेती में लग जाता है। तो जब ट्रैक्टर ले जाने की बात आयी, दुःख तो होना ही था।
    झगडे में स्टेट बैंक के एजेंट ने गणसेकरन जी की छाती पर वार कर दिया जिससे वो बेहोश हो गए और जब अस्पताल ले कर पहुंचे तो उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
    हमारा सवाल है की यह कहाँ की गुंडागर्दी है? बैंक बनाये जाते हैं हमारी मदद के लिए, सेवा के लिए पर ये कोई तरीका हुआ? किसी की जान ही चले जाए? गौरतलब बात यह है की गणसेकरन के शुगर मिल की तरफ ३ लाख रूपए बकाया थे। जब पेमेंट होगी ही नहीं तो कोई कैसे आगे राशि देगा? कितने निर्दयी, संवेदनशून्य और क्रूर हो चले हैं लोग की किसी की परेशानी भी नहीं समझ पाते? सरकार की नाक के नीचे ये सब होता रहेगा और सब हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे! शर्मनाक है ये!
    और स्टेट बैंक के तो क्या कहने! आम जनता किसी भी बैंक से सबसे ज़्यादा अगर परेशान है तो वो है भारतीय स्टेट बैंक।
    भगवान गणसेकरन जी की आत्मा को शांति प्रदान करे!

    आपका,
    शेखर दीक्षित

    December 30, 2020
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    राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने किसान की ट्रैक्टर से हत्या पर किया बड़ा ऐलान

    सीतापुर.
    सीतापुर में कर्ज से ग्रसित किसान के साथ लोन देने वाली प्राइवेट फाइनेंस कंपनी के खिलाफ राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष शेखर दीक्षित ने आवाज उठाई है। शेखर दीक्षित ने कहा कि किसी भी कीमत पर किसानों के साथ अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर इस तरह की घटना दोबारा हुई तो किसान मंच की ओर से पूरे देश में प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी जाएगी। आज शेखर दीक्षित फाइनेंस कंपनी की ओर से मौत के घाट उतार दिए गए किसान ज्ञानचंद के घर पहुंचे और परिवार को सांत्वना देते हुए उन्हें ढांढस बंधाया।

    शेखर दीक्षित ने किसान की हत्या के मामले में पुलिस से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं कतई बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। किसानों पर अत्याचार किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा।

    यह है पूरा मामला-

    मामला राजधानी लखनऊ से सटे सीतापुर जिले के राम कलां थाना क्षेत्र के भौरी गाँव का है, जहाँ बीते शनिवार को गाँव के एक दलित किसान ज्ञानचंद को रिकवरी एजेंट्स ने पैसे नहीं चुकाने के कारण मौत के घाट उतार दिया। फाइनेंस कंपनी के इन एजेंटों ने किसान की उसी के ट्रेक्टर से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी।

    महज 30-35 हजार रुपयों का था लोन-

    आपको बता दे कि 45 वर्षीय दलित किसान ज्ञानचंद ने तीन साल पहले एलएंडटी नाम की फाइनेंस कंपनी से पांच लाख रुपए का लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था, जिसमें उसका अब सिर्फ 30-35 हजार रुपया ही बकाया रह गया था, इसके एवज में एजेंटों ने इस करतूत को अंजाम दे दिया।

    जान और ट्रैक्टर दोनों की रिकवरी कर ले गए-

    शनिवार को किसान ज्ञानचंद अपने खेतों की जुताई कर रहा था, तभी फाइनेंस कंपनी के चार एजेंट खेत पहुँच गए, जिसमें दो सुधीर और अमित नाम के और दो अज्ञात एजेंटों ने ज्ञानचंद को बंधक बना लिया। चश्मदीद राज किशोर उस समय खेत पर ही था। उसने बताया कि ज्ञानचंद कागज दिखाकर बकाया पैसों को जमा करने की बात कर रहे थे।ज्ञानचंद ट्रैक्टर नहीं ले जाने की मिन्नत करते रहे, तब तक मैंने देखा कि वो ट्रैक्टर के नीचे दबे हैं।
    राजकिशोर के मुताबिक, जब तक में गांव वालों को बुलाने के लिए आया तब तक रिकवरी एजेंट्स ट्रैक्टर लेकर फरार हो गए थे और लाश को वहीं छोड़ दिया था। किसान पांच बेटियों का बाप था।

    किसान को कब मिलेगा न्याय-

    किसान ज्ञानचंद की पांच बेटियां है, सबसे छोटी बेटी अभी महज छः माह की है। पुलिस ने इस मामले में लूट और हत्या जैसी धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस की कार्यवाही तो जारी है, लेकिन अभी तक ना तो हत्यारे पकड़ में आये हैं और ना ही किसान का वो ट्रेक्टर जिसकी वजह से उसकी जान चली गयी।

    December 30, 2020
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    ग्राम शिक्षा

    ग्राम आधुनिक शिक्षा

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    January 5, 2021
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