सबकी ज़िन्दगी में दुःख और सुख समय समय पर आते जाते रहते है, और हम सब सुख दुःख से प्रभावित भी होते है जो कि एक साधारण बात है, मगर यदि किसी में अवसाद की स्थिति होती है ये दुःख कई गुना ज़्यादा गहरा, लंबा और दुखदायी होता है। कई लोग अवसाद की कारण जीने की इच्छा खो बैठते है और रोजाना के दैनिक कार्यो में भी उनका मन नहीं लगता, किसी से मिलना जुलना हसना बोलना उन्हें पसंद नहीं आता। विशेषज्ञ कहते हैं कि अवसाद की सबसे खराब स्थिति में पीड़ित आत्महत्या तक कर सकता है। हर साल संसार में करीब 8 लाख लोग आत्महत्या करते है, और इनमे से 17% यानी 135000 भारतीय है। हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है और हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति प्रयास करता है आत्महत्या के लिए। अवसाद के पीड़ित पूरे विश्व में पाए जाते है और माना जाता है की भारत में करीब पांच करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं।
किसे होता है अवसाद?
बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक में अवसाद देखा गया है। तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांक्षी होना इन्हें और बढ़ाता है। लोग जब चुनौतीपूर्ण समय से गुज़र रहे होते हैं तो उनके अवसाद में जाने की आशंका अधिक हो जाती है। जिन लोगों के परिवार में अवसाद का इतिहास रहा हो वहाँ भी लोगों के अवसाद पीड़ित होने की आशंका ज़्यादा होती है।
क्या होता है ये अवसाद?
अवसाद से जुडी जयंती भी जानकारी पायी गयी है उसमे कही भी ये साफ़ साफ़ रूप से देखने में नहीं आया है की आखिर ये अवसाद किस वजह से होता है, मगर विशेषज्ञों का मानना है की इसके लिए कई पहलु जिम्मेदार हो सकते है, जैसे - मन का निराशापूर्ण रहना, हर वक़्त कुछ बुरा होने की भावना से ग्रसित रहना, किसी नज़दीकी से बिछुड़ जाने का दुःख जो असहनीय रूप से मन को दुखी कर रहा हो।
कुछ भी काम करने से पूर्व सोच लेना कि में सफल नहीं होऊंगा, खुद को कमज़ोर या किसी लायक न समझना, कभी कभी कुछ बीमारियों के कारण भी लोगो को अवसाद हो जाता है जिनमें एक थायरॉयड की कम सक्रियता होना हैI कुछ दवाओं के साइड इफ़ेक्ट्स में भी अवसाद हो सकता है। इनमें ब्लड प्रेशर कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएँ शामिल हैं।
अवसाद के लक्षण
इस अवस्था में व्यक्ति में अपना भला बुरा सोचने की क्षमता समाप्त हो जाती है, वह स्वयं की शक्ति को पहचानने में असमर्थ हो जाता है और सदा लाचारी की स्थिति में रहता है। उसे निराशा सदा घेरे रहती है और अपने आस-पास किसी को पसंद नहीं करता है। चिंता, उदासीनता, असंतोष, खालीपन, अपराध बोध, निराशा, मिजाज बदलते रहना, घबराहट अथवा सुख प्रदान करने वाले कार्यों से भी सुख प्राप्त ना होना। अकेलापन उसे अच्छा लगता है। किसी की भी बात भले ही मजाक में कही गई हो उसे तीर की तरह चुभ जाती है हर बात को अपने से जोड़ लेता है और सब पर संदेह करता है। कुछ अवसादग्रस्त व्यक्ति ऐसे भी होते है जो जब तक दिनभर काम में व्यस्त होते हैं तब तक वे अवसाद की स्थिति से दूर रहते हैं परन्तु जैसे ही वे अकेले हो जाते हैं फिर से अवसाद में डूब जाते हैं।
मुख्य रूप से अवसाद के निम्न तीन लक्षण दिखाई पड़ते है -
1.ऐसे अवसाद की स्थिति में किसी भी काम या चीज़ में मन नहीं लगता है, कोई रुचि नहीं होती, किसी बात से कोई खुशी नहीं होती और तो और दुःख का भी अहसास नहीं होता है।
2.हर समय नकारात्मक सोच रहना।
3.नींद न आना या बहुत नींद आना, आधी रात को नींद खुल जाना और अगर ऐसा दो सप्ताह से अधिक चले तो अवसाद की निशानी है।
अवसाद से बचाव के कुछ तरीके
अवसाद की स्तिथि यदि शुरुआती है तो इसे अपने स्तर पर संभाला जा सकता है परन्तु समस्या गंभीर हो जाने पर डॉक्टर से सलाह करके उपचार करना जरुरी है। आहार, योग, प्राणायाम और ध्यान उपचार हेतु बहुत हद तक लाभप्रद है। अवसाद से बचाव के कुछ नियम जानते है।
सबसे पहले अवसाद ग्रसित लोगो को या सामान्य लोगो को भी अपनी नींद के समय और जागने के समय को नियमित करना चाहिए, कम से कम ८ घंटे की पर्याप्त नींद ले।
अपने दिन भर के भोजन को खाने का समय निश्चित करे और हर भोजन से बीच ४-५ घंटे का अंतराल रखे, भोजन पौष्टिक और सम्पूर्ण ले।
अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योग, ध्यान, सूर्य नमस्कार या कोई भी हलकी फुलकी आपने मन को भाने वाले व्यायाम को शामिल करे नियमित रूप से करे, ये न केवल आपके शरीर को बल्कि मन को भी मज़बूत बनाएगा।
आज के समय में ऐसा कोई नहीं है जिसे तनाव न हो, तनाव सभी को होता है मगर कोशिश ये करनी चाहिए की इसे कम कैसे किया जाये, इसके लिए अपने आप को व्यस्त रखे, दोस्तों से मिले जुले, परिवार के बड़े बुजुर्ग, बच्चो के साथ समय बिताये, अच्छी किताब पढ़े, संगीत सुने, या अपनी रुचिपूर्ण कार्यो में मन लगाए, इधर उधर के विचार अपने दिमाग में न रखे। अपनी महत्वकांक्षा को उतना ही रखना जितना हासिल करना संभव हो, अपनी ज़िन्दगी की तुलना दुसरो से कतई न करे, दुसरो की देखादेखी में अपने जीवन की शांति भंग न करे।
एक महत्वपूर्ण बात हमेशा याद रखें, इससे फर्क नहीं पड़ता आप कौन हैं, जीवन तब तक सही नहीं चलता जब तक आप सही चीजें नहीं करते।
यदि आप सही परिणाम चाहते हैं तो सही कार्यों का चयन करें फिर जीवन हर दिन एक खूबसूरत चमत्कार से कम नहीं है। हमें अपने जीवन की बागडोर या जिम्मेदारी अपने हाथ लेनी होगी जिससे हमारे अन्दर की असीमित क्षमताएं निखर कर आये और तनाव रहित जीवन बने।
श्री श्री रविशंकर जी कहते हैं - "यदि आप दुःखी है, तो इसका कारण कोई और नहीं किन्तु आप स्वयं है। आपको न कोई ख़ुशी दे सकता है न दुःख। आपकी अत्यधिक महत्वकांक्षाओ और अपेक्षाओं ने आपको दुःखी कर रखा है, अपनी इच्छाओं को गेंद की तरह उछाल फेंके। जिम्मेदारी और चिंता ईश्वर को समर्पित कर दें।"