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    देश में सफाई कर्मी ही नहीं हर वर्ग पीड़ित है चाहे वह मजदूर हो या किसान – पवन दूबे

    राष्ट्रीय किसान मंच ने वाराणसी में अखिल भारतीय सफ़ाई मज़दूर संघ के समर्थन में मज़दूरों की स्थाई नियुक्ति का समर्थन किया साथ ही कहा कि किसान आंदोलन में पूर्वांचल के किसानों की हिस्सेदारी सुनिस्चित करने की दिशा में राष्ट्रीय किसान मंच पूर्वांचल के जिलों में जन सम्पर्क अभियान के अंतर्गत किसानों में आंदोलन के प्रति जागरूकता अभियान भी चला रहा है।

    August 13, 2021
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    सदस्य प्रदेश कार्यसमिति मोहित मिश्रा के नेतृत्व में एसडीएम कार्यालय का घेराव

    आज दिनांक 11/08/2021 को राष्ट्रीय किसान मंच के पूर्व प्रदेश महासचिव एवं सदस्य प्रदेश कार्यकारिणी मोहित मिश्रा के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने आवारा पशु किसान सम्मान निधि मिश्रिख तहसील में स्टांप घोटाला एवं कालाबाजारी आदि समस्याओं को लेकर एसडीएम मिश्रिख का घेराव किया ग्राम में पूर्व प्रदेश महासचिव मोहित मिश्रा ने तहसील के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को चेताया यदि किसानों का शोषण किया गया तो यह लापरवाही किसी भी हद तक बर्दाश्त नहीं की जाएगी और उपजिलाधिकारी मिश्रीख एवं अन्य पुलिस के अधिकारी किसानों को कोविड-19 का प्रोटोकॉल मत दिखाएं कोविड-19 का प्रोटोकॉल केवल किसानों के लिए है भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए नहीं है जो जानबूझकर इतनी भीड़ इकट्ठा करते हैं किसान भाइयों की सभी समस्याओं का समाधान यदि 1 हफ्ते के अंदर नहीं किया गया तो राष्ट्रीय किसान मंच दोबारा हजारों किसानों के साथ सीतापुर तक पैदल मार्च करके जिलाधिकारियों को अपनी समस्याओं से अवगत कराएगा , एसडीएम मिश्रिख ने धरना स्थल पर किसानों की समस्याओं को सुना और 1 सप्ताह के अंदर उनका निराकरण करने की बात कही तथा तहसील मिश्रिख में चार नवीन गौशालाओं का निर्माण हेतु कार्य तत्पर है जल्दी गौशाला चालू हो जाएंगे तथा केसुआ मऊ ग्राम सभा के लेखपाल को तत्काल निलंबित कर उसके जगह पर दूसरे लेखपाल की तैनाती की गई धरना स्थल पर का कार्यवाहक तहसील अध्यक्ष अमरीश कनौजिया, अनुज अवस्थी पूर्व जिला उपाध्यक्ष, मनोज अवस्थी, वीरेंद्र मौर्य, राजेश कनौजिया रजनीश मौर्या आशीष मिश्रा ,अवनीश मिश्रा, राहुल अवस्थी, होरीलाल वर्मा, कमलेश सिंह ,रजनीश शुक्ला, मनीष दीक्षित ,दुलारे कनौजिया, देशराज सिंह ,भारतेंदु मिश्रा, आशीष सिंह ,आशीष त्रिवेदी, अजय तिवारी अज्जू , सुंदर सिंह ब्लॉक अध्यक्ष मछरेहटा ,
    एवं कई किसान भाई मौजूद रहे

    August 12, 2021
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    देश भर के किसानों को प्रयागराज में इकट्ठा करेगा राष्ट्रीय किसान मंच – सुरिंदर बक्शी

    राष्ट्रीय किसान मंच आगामी सितम्बर के महीने में देश भर के किसानों को प्रयागराज में इकट्ठा करेगा और केंद्र व राज्य की सरकारों को यह सन्देश देने का प्रयास करेगा कि जो बार.बार ये भ्रम फैला रहे हैं कि देश के कुछ प्रदेशो या कुछ जिलों के ही किसान इस कृषि बिल के खिलाफ हैं वो गलत हैं। आज देश का हर वर्ग परेशान है चाहे वो किसान होए मजदूर हो या बेरोजगार युवा हो।
    कोविड के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुए हैंए कोविड ने रोजगार के मुद्दे पर पूरी तरह फेल सरकार की नाकामियों को छुपाने में बड़ा सहयोग किया। किसान को बीज लेना हो कीटनाशक लेना हो या खाद लेनी हो तत्काल भुगतान करना होता हैं लेकिन सराकरें किसानों के पैसों का भुगतान रोके रहती ह
    हम पूरे पूर्वांचल को और बिहार को व आधे मध्य प्रदेश को इसमें आवाहन करके बुलाएँगे और इसका एक बड़ा सन्देश केंद्र सरकार को देंगे कि देश भर का किसान आप के बिल के खिलाफ है और इसके दिनांक की घोषणा जल्द ही लखनऊ में राष्ट्रीय अध्यक्ष पं० शेखर दीक्षित जी द्वारा निर्धारित की जाएगी।
    किसान बिल में जो समस्याएं है और इसके नाम पर जो सरकार और सरकार के लोग भ्रम फैला रहे हैं वो न किसानों को न ही किसान नेताओं को मंजूर होगा। इसके लिए एक देशव्यापी आंदोलन होगा।
    यदि सरकार ने इस बिल को वापस नहीं लिया तो ये बिल उनके कार्यकाल में ताबूत की आखिरी कील साबित होगा।
    इसकी अध्यक्षता सुरिंदर बक्शी ने की और उनके साथ, पवन दूबे (सदस्य प्रदेश कार्यसमिति), सर्वेश पाल (सदस्य प्रदेश कार्यसमिति), राजेश मौर्या (सदस्य जिला कार्यसमिति), राजेश यादव, भानु प्रताप सिंह, लालता प्रसाद तिवारी व अन्य लोग उपस्थित रहे।

    August 12, 2021
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    Farmers will teach the BJP a lesson in next year’s UP assembly elections: Rashtriya Kisan Manch

    Protesting farmers are seriously considering voting against the ruling Uttar Pradesh government in next year’s assembly polls to teach the BJP-led Centre a lesson, the Rashtriya Kisan Manch said on Tuesday. “Farmers will settle scores with the anti-farmer BJP party in the forthcoming assembly elections in UP,” said Shekhar Dixit, National President, Rashtriya Kisan Manch, while talking to reporters.

    He said future course of action will be decided on Wednesday by the Samyukt Kisan Morcha at the ongoing ‘Kisan Sansad’. On the basis of the next strategy, the agitation would be intensified, Dixit said.

    He questioned the propriety of the Centre to impose a farm law on farmers, which in fact is “anti-farmer and pro-capitalist”.

    The government should make public data, if any, of its pro-farmer development that it touts in parallel with the corridors/expressways of the country.

    Terming the PM Fasal Bima Yojana (crop insurance scheme) as a “photocopy of the farm laws”, he said it has miserably failed since the scheme is being run to save the interests of industrialists.

    The claim made by the government that it is working towards doubling the income of farmers by 2022 is nothing but a “gimmick” meant to misguide them, Dixit said.

    The manner in which the Union agriculture minister invites farmers for a dialogue and the way it backtracks on it stands witness to how the government is beholden to large businesses, the farmer leader claimed.

    Protesting farmers under the Rashtriya Kisan Manch will ‘gherao’ the UP Vidhan Sabha in Lucknow if the arrears of sugarcane growers is not paid in time, he said.

    source: The Hindu Times

    August 5, 2021
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    उत्तर प्रदेश में अब आगामी विधान सभा चुनाव में किसान लड़ेंगे चुनाव

    कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं, हारा वही जो लड़ा नहीं।
    बहुत हुआ शोषण, बहुत पड़ी महंगाई की मार, अबकी बार "किसान सरकार"
    राष्ट्रीय किसान मंच ने भी शुरू की चुनावी तैयारी

    July 13, 2021
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    उत्तर प्रदेश में किसानो के हित की सबसे बड़ी खबर

    "किसानों के सम्मान में, राष्ट्रीय किसान मंच मैदान में"
    राष्ट्रीय किसान मंच सभी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगा

    नए विकल्प पर प्रदेश की जनता मुहर लगाएगी, अबकी बार "किसान सरकार" आएगी
    आज ग्रामीण जीवन की तरफ कोई भी सरकार ध्यान नहीं देती
    चुनाव आते हैं तो पार्टिया उन्हें सिर्फ उनके वोट तक देखती हैं
    डीजल की आसमान छूती कीमतें किसानों पर टूटे पहाड़ की तरह है।
    आगरा, नॉएडा, लखनऊ, बनारस हो या प्रयागराज, ऐसी अन्य कई जिलों की मुख्य सड़के जिनको आधार बना कर सरकारें अपनी-अपनी उपलब्धि गिनाती हैं, उन्ही मार्गों से बिलकुल सटे गाँव के अंदर की सड़के भी क्या कभी सरकारें देखना चाहेगी, सैकड़ों गांवों में मुख्य मार्ग तक निकलने तक का सुगम रास्ता नहीं है फिर भी मौजूदा भाजपा सरकार कहती है विकास हो रहा है।
    किसका हो रहा है विकास इसे गंभीरता से समझने की आवश्यकता है
    सीमांत किसान की स्थिति ऐसी है कि उसे खेती करने के लिए कर्ज तक लेना पड़ता है, क्यों इस पर भी विचार करने की आवश्यकता है।
    आज यूरिया और डाई की बढ़ी कीमते किसानों पर अत्यधिक दबाव दाल रही हैं।
    अभी तक समस्या थी की विकल्प नहीं था अब विकल्प है, उत्तर प्रदेश की जनता राष्ट्रीय किसान मंच पर विश्वास दिखाएगी, प्रदेश में किसान सरकार आएगी

    July 13, 2021
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    सीतापुर जिले में राष्ट्रीय किसान मंच सदस्यता अभियान

    राष्ट्रीय किसान मंच सदस्यता अभियान के तहत सीतापुर जिले के ग्राम मरेली में बैठक का आयोजन किया गया, सभी किसानो को सदस्यता दिलाई गई तथा सभी किसान भाइयों को नए सदस्य बनाने की बात कही गई।
    बैठक में किसान भाइयों की प्रमुख समस्याएं गन्ना भुगतान, मिश्रिख तहसील के अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न, ब्लाक गोंदलामऊ के अधिकारियों द्वारा किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ न दिलाये जाने की समस्याओं को उठाया गया।

    July 13, 2021
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    राष्ट्रीय किसान मंच का सदस्यता अभियान

    राष्ट्रीय किसान मंच की आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सदस्यता अभियान की जोरदार शुरुआत सीतापुर, हरदोई, उन्नाव , प्रयागराज, प्रतापगढ़ समेत कई जिलों से आरम्भ कर दी गई है।
    विश्व की पुकार है ये भगवत का सार है की
    युद्ध ही तो वीर का प्रमाण है !
    कौरवो की भीड़ हो या पाण्डवो का नीर हो
    जो लड़ सका है वही तो महान है।
    जय जवान जय किसान,
    "अत्याचार, अधर्म को हराएंगे, प्रदेश में किसान सरकार लाएंगे"

    July 13, 2021
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    राष्ट्रीय किसान मंच की उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक

    प्रदेश कार्यकारिणी की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई।
    राष्ट्रीय किसान मंच उत्तर प्रदेश(अवध) पदाधिकारियों की बैठ ८५ चारबाग़ लखनऊ में आयोजित की गयी जिसमें प्रदेश पदाधिकारी उपस्थित रहे। विगत दिनों में होने वाले नए कार्यक्रमों और किसान आंदोलन की भूमिका पर चर्चा हुई, आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसानो की बात ससक्त रूप से रखने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी में सुधार व विस्तार की आवश्यकता है, इसके मद्देनजर जिला एवं प्रदेश इकाई को भंग करने का प्रस्ताव राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय द्विवेदी जी ने रखा जिसको सभी पदाधिकारियों ने स्वीकार किया। अतः आज से उत्तर प्रदेश की प्रदेश इकाई एवं समस्त जिला इकाइयाँ भंग की जाती है।
    जल्द ही नई कार्यकारिणी का गठन किया जायेगा।
    बैठक में राष्ट्रीय संगठन मंत्री संजय द्विवेदी, प्रदेश अध्यक्ष मो० इस्माइल, प्रदेश अध्यक्ष ऋचा चतुर्वेदी (महिला प्रकोष्ठ), प्रदेश उपाध्यक्ष सर्वेशपाल, प्रदेश संगठन मंत्री वेद प्रकाश, प्रदेश प्रभारी सुरेन्द्रपाल बक्शी, प्रदेश महासचिव मोहित मिश्र, प्रदेश सचिव भारतेन्दु मिश्र, प्रदेश सचिव पवन दूबे, प्रदेश सचिव मधु पांडे व अन्य लोग उपस्थित रहे।

    July 6, 2021
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    राष्ट्रीय किसान मंच की उत्तर प्रदेश कार्य समिति की बैठक

    आज उत्तर प्रदेश कार्यसमिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई ! केंद्र व राज्य सरकारो ने किसान को ठगने का किया काम : पंडित शेखर दीक्षित
    राष्ट्रीय किसान मंच आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीट पर किसान को चुनाव लडवाएगा
    सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसानों की कर रही है अनदेखी
    लखनऊ। राष्ट्रीय किसान मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित शेखर दीक्षित ने केंद्र व राज्य सरकार पर किसान को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि किसान अब अपनी तकदीर खुद लिखेगा। इसके लिए मंच आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 403 विधानसभा सीट पर किसान को चुनाव लडवाएगा।संगठन ने आगामी 3 महीने में 1 करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए युद्ध स्तर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा।जब किसान देश की विधानसभा और लोकसभा में बैठेगा तब ही केवल उसको उसका हक मिल पाएगा ।
    प्रांतीय कार्यालय इन्दिरा नगर में आज राष्ट्रीय किसान मंच की उत्तर प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान की भारतीय जनता पार्टी सरकार किसान हितों के बजाए पूंजीवादियों को फायदा पहुँचाने का काम कर रही है। पिछले 7 महीनों से अधिक समय से किसान दिल्ली में किसान बिल का विरोध कर रहा है पर सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उनकी अनदेखी कर रही है। उत्तर प्रदेश में भी भाजपा सरकार ने जितने वायदे किसानों से 2017 के चुनाव में किए थे वो सभी झूठे साबित हुए हैं। मुख्यमंत्री का गन्ना किसान को 10 दिन में भुगतान का वायदा भी जुमला ही निकला है। किसानों को उर्वरक से लेकर बीज तक सब कुछ महंगा मिल रहा है। इसके बाद भी फसलों का मूल्य बहुत ही कम मिल रहा है तो किसान कैसे अपना गुजारा कर सकता है ।
    प्रधानमंत्री की किसान की फसल का मूल्य दो गुना करने की बात हवा हवाई निकली है। ऐसे हालात में किसान विरोधी सरकार को सत्ता से बाहर करना तथा किसान के द्वारा सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेना जरूरी हो गया है। इसके लिए अब किसानो को खुद राजनीति में उतर कर राजनैतिक दलों को किसान की असल ताक़त का एहसास कराना होगा ।समय आ गया है कि किसान अपने हक़ों के लिए लामबंद हो ।विपक्ष को आगे हाथ लेते हुए उन्होंने कहा कि किसान ने सपा बसपा कांग्रेस की सरकारे देखी हैं। उनके सुर भी सत्ता में आने पर बदल जाते हैं। राजनीतिक दल सत्ता पाने के बाद किसनों को भूल जातें है। उन्होंने कहा कि मंच आगामी चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव भी लड़ेगा। इसका रोड मैप जल्द ही सभी के सामने होगा।
    बैठक में मुख्य रूप से मोहम्मद इस्माइल (उन्नाव) से, सरदार सुरेंद्र पाल सिंह बक्शी ,(लखनऊ) से ,अनिल चौबे (आज़मगढ़ ) से , कुमारी ऋचा (लखनऊ) से ,संजय दिवेदी (लखनऊ ) से वेद प्रकाश शास्त्री (सीतापुर) से , सर्वेश पाल (उन्नाव )से , आशीष दुबे (ओरैया ) से बाबा (हरदोई ) से , पवन दुबे (प्रयागराज) से ,मोहित कुमार मिश्रा (सीतापुर) से ,मोहम्मद इमरान (गोरखपुर) से , शिव करण सिंह (बनारस ) से ,मधु पाण्डेय (सीतापुर ) मँजू शर्मा (ग़ाज़ियाबाद ) से कुमारी प्रिया (आगरा) से ,ओंकार नाथ (बहराइच) से व अन्य साथी गण मौजूद रहे ।

    July 6, 2021
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    Rashtriya Kisan Manch
    Tweets by orgrkmkisan

    ग्राम

    सितम्बर माह में उगाई जाने वाली सब्जिया

    1) शिमला मिर्च
    सितम्बर माह शुरू होने से पहले ही शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार कर ली जाती है और समय से इसको लगाना शुरू कर दें चाहिए। इसके बीज भी उत्तम कोटि के होने चाहिए और रोग रोधी हो। बीज लगाते समय ध्यान रखें कि बीज लगाने के बाद जब दोबारा उसका रोपण करे तो उस समय उसकी जड़ को शोधन ज़रूर करें। शिमला मिर्च का बीज जब भी लगाए तो कोशिश करे की २-३ दिन पहले भूमि का भी शोधन कर ले और सही तरीके से जुताई कर ले । इससे आप का उत्पादन काफी बेहतर होगा और आप को अच्छा भाव भी मिलेगा।

    2) पत्तागोभी
    पत्तागोभी भी एक ऐसी सब्जी है जिसकी सितम्बर माह में नर्सरी तैयार की जा सकती है । पत्ता गोभी में वैसे तो ज्यादा रोग लगने की संभावना नहीं होती परन्तु पत्ता गोभी में गलने की व कीट की समस्या हो सकती है और इन समस्याओं को दूर करने के लिए आप ऑर्गेनिक तरीकों का प्रयोग कर सकते है।

    3) धनिया पत्ता
    धनिया को भी सितंबर महीने में लगाया जाता है बारिश के कारण धनिया में अंकुरण की समस्या हो सकती है। धनिया उगाने के लिए खेत ऊंचाई पर होना चाहिए ताकि पानी ना लग सके तथा धनिया को क्यारियों में लगाया जाता है, ताकि निकासी व्यवस्था भी की जा सकें। धनिया में सीमित मात्रा में केमिकल का प्रयोग करें। अगर अधिक केमिकल का प्रयोग किया जाएगा तो फसल खराब या फिर फसल को नुकसान हो सकता है।

    4) फूलगोभी
    सर्दियों में खायी जाने वाली सब्जियों में से सर्व पसंदीदा सब्जी फूल गोभी है, जिसे सितम्बर माह में उगाया जाता है। फूलगोभी को उगाने से पहले उन्नत और उत्तम किस्म के बीज का चयन कर लेना चाहिए, इसके दो फायदे है एक तो फसल की उपज अच्छी रहेगी, दूसरा फसल में ज्यादा रोग नहीं लगेंगे
    फूलगोभी की फसल में न केवल पौधे को बल्कि भूमि को भी शोधित करना आवश्यक है, इसके लिए जैविक (आर्गेनिक) कीटनाशक बनाए और उसका छिड़काव करें। जिससे आप अच्छा लाभ ले सकें।

    5) बैंगन
    बैंगन की खेती करना बेहद आसान हैं। इसके लिए सही बीजों का चयन करना काफी आवश्यक होता है। कई लोगों ने नर्सरी भी लगा ली है तथा इसकी जड़ का सही तरीके से शोधन करना काफी आवश्यक है। ऑर्गेनिक कीटनाशक के प्रयोग से काफी हद तक फसल को रोग से बचाया जा सकता है।

    6) बैंगन
    पालक साग आदि सब्जियों की खेती भी सितंबर महीने में की जाती हैं। पालक की बुवाई करते समय ध्यान रखें उसमें जल निकासी की व्यवस्था हो। पालक से भी काफी आमदनी हो सकती है बशर्ते बारिश से पालक को बचाया जा सके।

    7) पपीता
    सितंबर में उगाई जाने वाली सब्जियां में एक पपीता भी हैं।पपीता में वायरस की समस्या हो सकती है लेकिन इसको नीम का तेल प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है। पपीता लगाते समय एक-एक पपीते के बीच की दूरी का ध्यान जरूर रखें और यदि पपीता बेड पर लगाते हो काफी अच्छी फसल देखने को मिल सकती है।
    8) हरी मिर्च
    हरी मिर्च की फसल के लिए दो बाते आवश्यक है, पहली ये की हरी मिर्च का बीज रोग रोधी हो और बीज की बुआई करें तो पानी निकासी का इंतजाम पहले ही ज़रूर कर लें। हरी मिर्च की नर्सरी डालने के बाद जब रिप्लांट करें तो पहले भूमि शोधन अवश्य करें और खाद का बहुत ही सीमित मात्रा में प्रयोग करें नहीं तो आपको नुकसान भी सहना पड़ सकता हैं।
    9) मूली
    मूली को बोने के लिए अगर ऊंचाई वाला खेत है तो काफी बढ़िया है और यदि खेत ऊंचाई पर नहीं है तो इसे बेड पर भी लगा सकते हो। खेत की अच्छे ढंग से जुताई होनी चाहिए। जितनी अच्छी भुरभुरी मिट्टी होगी उतनी ही अच्छी आपको पैदावार मिलेगी।

    10) ब्रोकली
    ब्रोकली सब्जी ह्रदय के लिए बहुत ही फायदेमंद सब्जी है, इसकी गुणवत्ता के कारण इसका भाव १०० रूपए से लेकर २०० रूपए किलो तक रहता है। ब्रोकोली उगाने के लिए उसके बीज से नर्सरी डाल लीजिए और उसके बाद उस की रोपाई शुरू करें।

    11) मटर
    मैदानी भागों में तो मटर को अक्टूबर महीने में बोया जाता है लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में मटर की बुआई सितंबर महीने में शुरू हो जाती है। बीज लाने के बाद इसको शोधन करना काफी आवश्यक है इसमें जर्मीनेशन का ध्यान रखेंगे तो फसल भी अच्छी होगी और आपको काफी ज्यादा लाभ भी देखने को मिलेगा।
    12) गाजर/चुकंदर/शलगम
    पहाड़ी इलाकों में गाजर चुकंदर व शलगम की खेती सितंबर महीने में कर सकते है, इसके लिए खेत को अच्छे ढंग से तैयार कीजिये ताकि फसल को किसी भी तरह का नुकसान ना हो। चुकंदर शलगम गाजर इन तीनों में ही लागत काफी कम लगती है और फायदा अधिक होता है।

    August 26, 2021
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    अलसी की उन्नतशील फसल

    अलसी एक तिलहनी और रेशे वाली फसल है जिसका उत्पादन मुख्य रूप से २ कारणों से किया जाता है, पहला तेल के लिए और दूसरा रेशे के लिए I अलसी के तेल का उपयोग खाने के, औषधीय और औधोगिक उपयोग के लिए किया जाता है I इसकी खली पोषक तत्वों से पूर्ण होती है जिसे पशुओ को खिलाने और खेतो में उर्वरक के रूप में भी किया जाता है I भारत में अलसी की खेती मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है I
    खेत की तैयारी - खरीफ की फसल काटने के बाद मिटटी को अलट पलट करने के लिए एक जुताई करे, तत्पश्चात कल्टीवेटर या देशी हल से 2 बार जुताई करके खेत को अच्छी तरह तैयार करे I अलसी की खेती के लिए मटियार व् चिकनी दोमट भूमि में की जा सकती है I
    बुवाई का समय एवं विधि - अक्टूबर माह के किसी भी समय अलसी को बोया जा सकता है I इसका बीज २५-३० कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर कि दर से बोया जाता है I इसकी बुवाई में बीजो के बीच कम से कम २५ से.मि का अंतराल होना चाहिए I
    उर्वरक - असिंचित क्षेत्र के लिए अच्छी पैदावार के लिए नाइट्रोजन 50 कि. ग्रा., फॉस्फोरस 40 कि. ग्रा.तथा पोटाश 40 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर इस्तेमाल कीजिये और सिंचित क्षेत्र के लिए नाइट्रोजन 100 कि. ग्रा., फॉस्फोरस 60 कि. ग्रा.तथा पोटाश 40 कि. ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर इस्तेमाल करना चाहिए I
    सिंचाई - यह फसल असिंचित रूप से बोई जाती है, परन्तु जहा सिंचाई का साधन उपलब्ध है वह दो सिंचाई ही काफी है क्योंकि यह फसल कम पानी से भी अच्छी पैदावार देती है I पहली सिंचाई फूल आने पर या बुवाई से 30-40 दिन बाद तथा दूसरी दाना बनते समय करनी चाहिए I
    फसल का बचाव - असली की फसल में कई प्रकार के रोग और कीट लग जाते है, जैसे अल्टेरनेरिया झुलसा, रतुआ, उकठा रोग, बुकनी गालमीज, ग्रेसी कटवर्म प्रमुख है I गर्मी की जुताई से गालमीज की सूड़िया मर जाती है, बीज को 2.5 ग्रा. थाइरम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से शोधित करके प्रयोग में ले, अलसी के साथ चना, सरसो, कुसुम को साथ बोया जाए तो गालमीज का प्रकोप कम हो जाता है I कालिया बनने लगे तब समय समय पर फसल का परिक्षण करते रहना चाहिए I खडी फसल में मेंकोजेब 2.5 कि.ग्रा. / हेक्टेयर कि दर से 40-45 दिन पर छिड़काव करके इन रोगो से बचा जा सकता है I
    अलसी की कटाई - फसल जब 130-140 दिन कि परिपक्वा हो जाती है, पौधे और फलिया पीली होने लगती है और पत्तिया सूखने लगती है तब समझना चाहिए कि फसल की कटाई का समय आ गया है I यदि सही तकनीक से फसल कि कटाई की जाये तो लगभग 15-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बीज प्राप्त हो जाता है I

    July 17, 2021
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    मिट्टी की जांच या मृदा परीक्षण

    खेत की मिट्टी का सीधा प्रभाव फसल की पैदावार से होता है, गुणवत्तापूर्ण उपज और अधिक पैदावार के लिए मिट्टी में कौन कौन से तत्व होने चाहिए इसकी जानकारी होना जरूरी है। मिट्टी में लम्बे अरसे से रासायनिक पदार्थों और कीटनाशकों के प्रयोग होने के कारण खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है। किसी भी फसल से उन्नत उपज लेने के लिए ये जानना जरूरी हैं कि उसे जिस मिट्टी के लगाया जा रहा है. उसमें उसके विकास के लिए पोषक तत्व मौजूद हैं या नही। मृदा परीक्षण यानि मिट्टी की जांच करा कर किसान अपने खेत की मिट्टी की सही सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मिट्टी की जांच में भूमि के अम्लीय और क्षारीय गुणों की जांच की जाती है, ताकि पीएच मान के आधार पर उचित फसल को उगाया जा सके. और भूमि सुधार किया जा सके। मिट्टी की जाँच से किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की गुणवत्ता जानकार उसमे उसी के उपयुक्त फसल लगा कर कम खर्च में अधिक उपज प्राप्त कर सकते है।
    मिट्टी की जांच क्यों आवश्यक है
    मिट्टी की जांच कराने के बाद मिट्टी में मौजूद कमियों को सुधारकर उसे फिर से उपजाऊ बनाने के लिए। मिट्टी परिक्षण करवाकर उर्वरकों और रसायनों पर होने वाले अनावश्यक खर्च से बच सकता है। जैविक खेती करने वाले किसान भाई मिट्टी की जांच कराकर मिट्टी के जैविक गुणों का पता लगा सकते हैं. और उसी के आधार पर जैविक पोषक तत्वों का इस्तेमाल पूरी तरह से जैविक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मिट्टी में कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश , कैल्सिशयम, मैग्नीशियम और सूक्ष्म तत्वों जैसे जस्ता , मैग्नीज, तांबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम और क्लोरीन इत्यादि अगर इन सबकी मौजूदगी मिट्टी में संतुलित रूप में रहती है तो इससे अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। मिट्टी में इन तत्वों की कमी के कारण मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम होने लगती है।
    मिट्टी जांच के फायदे
    सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न विकारों की जानकारी समय समय पर मिलती रहती है। मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा का ज्ञान हो जाता है। बोयी जाने वाली फसल के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है। संतुलित उर्वरक प्रबन्ध द्वारा अधिक लाभ कमा सकते है।
    मिट्टी जांच कब करानी चाहिए
    मिट्टी की जांच के समय ध्यान देना चाहिए की भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो। फसल की बुवाई या रोपाई से एक महीना पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं। अगर आप सघन पद्धति से खेती करते हैं तो हर वर्ष मिट्टी की जांच करवानी चाहिए। यदि खेत में वर्ष में एक फसल की खेती की जाती है तो हर 2 या 3 साल में मिट्टी की जांच करा लें।
    मिट्टी की जांच कैसे करे
    एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 8-10 स्थानों से ‘V’ आकार के 6 इंच गहरे गहरे गढ्ढे बनायें। एक खेत के सभी स्थानों से प्राप्त मिट्टी को एक साथ मिलाकर ½ किलोग्राम का एक नमूना बनायें। नमूने की मिट्टी से कंकड़, घास इत्यादि अलग करें। सूखे हुए नमूने को कपड़े की थैली में भरकर कृषक का नाम, पता, खसरा संख्या, मोबाइल नम्बर, आधार संख्या, उगाई जाने वाली फसलों आदि का ब्यौरा दें। नमूना प्रयोगशाला को प्रेषित करें अथवा’ ‘परख’ मृदा परीक्षण किट द्वारा स्वयं परीक्षण करें।

    July 16, 2021
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    ग्राम तकनीक

    तवैदार हैरो

    इस यंत्र के उपयोग से बीज के अच्छे अंकुरण के लिए भूमि में सुधार, कीटों एवं इनके रहने के स्थानों को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। यह घास-फूस तथा खरपतवपार वाली भूमि के लिए अत्यंत उपयोगी यंत्र है। गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करने में इस यंत्र का उपयोग अत्यंत ही लाभदायक है। इसकी कार्यक्षमता एक दिन में 4 से 5 हैक्टेयर है।

    April 15, 2021
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    गेहूं के कटाई के लिए उपकरण

    किसान और सरकार चाहते हैं कि देशभर में फसलों की पैदावार और उनकी गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हो, क्योंकि इससे किसान और सरकार, दोनों को लाभ होगा !मगर यह तभी संभव हो पाएगा, जब फसल उत्पादन का काम कम लागत में संपन्न हो!इसका एक मात्र विकल्प यह है कि आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग किया जाए, ताकि समय, श्रम और लागत की बचत हो पाए ! इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल सकेगा! ऐसे में आज हम ऐसे आधुनिक 2 कृषि यंत्रों के बारे में बताएंगे, जो कि गेहूं की कटाई को आसान बना देते हैं!

    ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर:

    यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है! इसमें भी कटर बार से पौधे कटे जाते हैं फिर पुलों में बंध  जाते हैं! इसके बाद संचरण प्रणाली द्वारा एक और गिरा दिया जाता है !खास बात यह है कि इस मशीन की मदद से कटाई और बंधाई का कार्य बहुत सफाई से होता है!

    स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर:

    छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेहूं की कटाई करने के लिए यह बहुत उपयोगी मशीन है! इस मशीन में आगे की ओर एक कट्टर बार लगी होती है, तो वहीं पीछे संचरण प्रणाली लगी होती हैं!इसके साथ ही रीपर में लगभग 5 हॉर्स पावर का एक डीजल इंजन लगा होता है, जो कि पहियों और कटर बार के लिए शक्ति संचरण का कार्य करता है

    कैसे करते हैं गेहूं की कटाई:

    किसान को फसल कटाई के लिए कटर बार को आगे रखकर हैंडिल से पकडक़र पीछे चलना होता है. कटर बार गेहूं के पौधों को काटती हैं. इसके साथ ही संचरण प्रणाली द्वारा पौधे एक लाइन में बिछा दिए जाते हैं, जिनको श्रमिकों द्वारा इकट्ठा कर लिया जाता है.

    March 26, 2021
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    मोटर संचालित क्राप कटर मशीन

    कृषि में जहाँ किसान पहले वर्ष में एक या दो फसल ले पाते थे वही अब कृषि यंत्रों की मदद से कम समय में कृषि कार्यों को पूर्ण करके तीन फसलें लेने लगे हैं | कृषि यंत्र से जहाँ कम समय में कार्य पूर्ण हो जाते हैं वही इससे फसल उत्पदान की लागत भी कम होती है खासकर छोटे कृषि यंत्रों से | भारत में छोटे एवं मध्यवर्गीय किसानों के लिए छोटे कृषि यंत्रों को विकसित किया जा रहा है | सरकार द्वारा इनके उपयोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है जिसके लिए सरकार द्वारा इन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी दी जाती है | छोटे किसानों के बीच इन छोटे कृषि उपकरणों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है, जिससे कृषि श्रमिकों और किराए की मशीनों पर उनकी निर्भरता कम की जा सके | किसान समाधान गेहूं कटाई के समय को देखते हुए कटाई के लिए उपयुक्त मोटर संचालित क्रॉप कटर की जानकारी लेकर आया है |

    मोटर संचालित क्राप कटर:

    क्राप कटर मशीन पके हुए गेहूं को जमीन से लगभग 15 से 20 से.मी. की ऊँचाई से काट सकती है | क्रॉप कटर से काटने की चोडाई 255 सेमी तक होती है वहीँ इसमें 48 से 50 सीसी की शक्ति से चल सकती है | इसका बजन 8 किलो से लेकर 10 किलोग्राम तक होता है | यह पेट्रोल से चलने वाला यंत्र है जिसमें एक बार में 1.2 लीटर पेट्रोल तक भरा जा सकता है | मशीन में एक गोलाकार आरा ब्लेड, विंडरोइंग सिस्टम, सेफ्टी कवर, कवर के साथ ड्राइव शाफ़्ट, हैंडल, ऑपरेटर के लिए हैगिंग बैंड पेट्रोल टैंक, स्टार्टर नांब , चोक लीवर और एयर क्लीनर होते हैं | ब्लेड, इंजन द्वारा संचालित एक लंबी ड्राइव शाफ़्ट के माध्यम से घूमता है | 25 से.मी. की ऊँचाई और 12 से.मी. के ब्लेड त्रिज्या के बराबर आधे बेलन के आकार की एक एलुमिनियम शीट को काटने वाले ब्लेड के उपरी भाग में फिट किया जाता है | फसलों को इकट्ठा करने में आसानी के लिए एक समान पंक्ति बनाने के लिए एक गार्ड लगाया जाता है |

    क्राप कटर मशीन में ब्लेड का उपयोग फसल के अनुसार करें :

    मोटर संचालित क्राप कटर मशीन में ब्लेड का उपयोग फसल के पौधे के अनुसार किया जा सकता है | ज्यादा दांत वाले ब्लेड का उपयोग मोटे तथा कड़क पौधे की कटाई के लिए किया जाता है तथा कम दांत वाले ब्लेड का उपयोग मुलायम तथा पतले पौधे के लिए किया जाता है |

    दांतों की संख्या तथा उसका उपयोग :

    120 दांत वाले ब्लेड का उपयोग – 120 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग गेहूं, मक्का आदि फसलों की कटाई के लिए किया जाता है | 60 और 80 दंतों वाले ब्लेड का उपयोग – 60 तथा 80 दानों वाले ब्लेड का उपयोग चारा काटने के लिए किया जाता है | 40 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग – 40 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग 2 इंच मोती वाले पौधे को काटने के लिए किया जाता है |

    March 26, 2021
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    ग्राम शिक्षा

    इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम (Integrated Farming System)

    आजकल पारम्परिक खेती को लेकर एक धारणा बन गयी है कि इससे मुनाफा मिलता कठिन होता है और यही कारण है कि कई किसान किसानी छोड़ कर किसी और व्यवसाय कि तरफ रुख कर रहे है I
    परन्तु वही कुछ किसान ऐसे भी है जो नयी नयी खेती की तकनीक को अपना कर दिन दुगनी रात चौगुनी कमाई कर रहे है, ऐसी ही एक तकनीक का नाम है इंटीग्रेटेड फार्मिंग या एकीकृत कृषि प्रणाली I
    आइये जानते है क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम?
    इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम यानी एकीकृत कृषि प्रणाली का महत्त्व छोटे और सीमांत किसानों के लिए ज्यादा है हालाँकि बड़े किसान भी इस प्रणाली की अपनाकर खेती से मुनाफा कमा सकते हैंI एकीकृत कृषि प्रणाली का मुख्य उदेश्य खेती की जमीन के हर हिस्से का पूर्ण रूप से इस्तेमाल करना हैI इसके तहत आप एक ही साथ अलग-अलग फसल, फूल, सब्जी, मवेशी पालन, फल उत्पादन, मधुमक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि कर सकते हैं I इससे आप अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर पाएंगे और लागत में कमी आएगी फलस्वरूप उत्पादकता बढ़ेगी I एकीकृत कृषि प्रणाली न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल है बल्कि यह खेत की उर्वरक शक्ति को भी बढ़ाती हैI
    इंटीग्रेटेड फार्मिंग का एक बहुत ही बेहतरीन उदाहरण आपके लिए प्रस्तुत है I
    उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 90 किलोमीटर दूर सीतापुर जिला राष्ट्रीय राज्यमार्ग के किनारे जिला कृषि उपनिदेशक अरविंद मोहन मिश्र ने अपने कार्यालय में खाली पड़ी जमीन पर आधुनिक विधि से एक एकड़ में मौडल तैयार किया है I
    इस एक एकड़ के मौडल में मछलीपालन, बत्तखपालन, मुरगीपालन के साथसाथ फलदार पौधों की नर्सरी तैयार करवाई गयी है I श्री अरविंद मोहन मिश्र बताते हैं कि उन्होंने एक बीघा जमीन में तालाब की खुदाई करवाई है, तालाब में ग्रास कौर्प मछली डाल रखी हैं, इतनी मछली से सालभर में करीब एक से डेढ़ लाख रुपए की कमाई हो जाती है I इस के बाद तालाब के ऊपर मचान बना कर उस में पोल्ट्री फार्म बनाया है, जिस में कड़कनाथ सहित अन्य देशी मुर्गा - मुर्गी पाल रखे हैं I जो दाना मुर्गियों को दिया जाता हैं, उस का जो शेष भाग बचता है, वह मचान से नीचे गिरता रहता है और उसे नीचे तालाब की मछलिया खा लेती है जिससे मछलियों के दाने की बचत हो जाती है I
    2 बीघा जमीन पर ढैंचा की बुआई कर रखी है जिससे हरी खाद बनेगी और उस के बाद इस की जुताई करा के इस में शुगर फ्री धान की रोपाई कर देंगे I मिश्र जी ने यह भी बताया कि २ बीघे में गन्ने की पैदावार की गयी है जिससे तकरीबन 200 से 250 क्विंटल गन्ने की पैदावार लेते हैं, साथ ही, गन्ने में बीचबीच में अगेती भिंडी फसल बो रखी है, जिस से 30 से 40 हजार रुपए का मुनाफा होता है I सहफसली से एक और फायदा है कि जो छिड़काव या खाद हम एक फसल में देते हैं, उस का लाभ सहफसली को भी मिल जाता है I
    जिला उपकृषि निदेशक अरविंद मोहन मिश्र ने कहा कि पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर यह मॉडल सीतापुर जिले में 10 किसानों के लिए और बनवाया जाएगा I इस मॉडल की मंजूरी के लिए शासन से भी बातचीत चल रही है I
    आजकल कृषि में लागत वृद्धि होने का एक कारण यह भी है कि किसान अधिक उत्पादन के चक्कर में खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं, वो भी बिना किसी मापदंड के I इस को कम करने के लिए किसान खुद देशी विधि जैसे वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल कर या गाय का गोबर और गौमूत्र से जीवामृत बना कर छिड़काव करें, इससे कृषि लागत में कमी लायी आज सकती है I
    किसान यदि ठान ले तो भारतीय खेती व् नवीनतम कृषि तकनीक के जरिये वो अपनी आमदनी भी बढ़ा सकता है और कृषि उत्पाद की गुणवत्ता भी कायम रख सकता है I

    August 26, 2021
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    मिट्टी की जांच या मृदा परीक्षण

    खेत की मिट्टी का सीधा प्रभाव फसल की पैदावार से होता है, गुणवत्तापूर्ण उपज और अधिक पैदावार के लिए मिट्टी में कौन कौन से तत्व होने चाहिए इसकी जानकारी होना जरूरी है। मिट्टी में लम्बे अरसे से रासायनिक पदार्थों और कीटनाशकों के प्रयोग होने के कारण खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है। किसी भी फसल से उन्नत उपज लेने के लिए ये जानना जरूरी हैं कि उसे जिस मिट्टी के लगाया जा रहा है. उसमें उसके विकास के लिए पोषक तत्व मौजूद हैं या नही। मृदा परीक्षण यानि मिट्टी की जांच करा कर किसान अपने खेत की मिट्टी की सही सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मिट्टी की जांच में भूमि के अम्लीय और क्षारीय गुणों की जांच की जाती है, ताकि पीएच मान के आधार पर उचित फसल को उगाया जा सके. और भूमि सुधार किया जा सके। मिट्टी की जाँच से किसान भाई अपने खेत की मिट्टी की गुणवत्ता जानकार उसमे उसी के उपयुक्त फसल लगा कर कम खर्च में अधिक उपज प्राप्त कर सकते है।
    मिट्टी की जांच क्यों आवश्यक है
    मिट्टी की जांच कराने के बाद मिट्टी में मौजूद कमियों को सुधारकर उसे फिर से उपजाऊ बनाने के लिए। मिट्टी परिक्षण करवाकर उर्वरकों और रसायनों पर होने वाले अनावश्यक खर्च से बच सकता है। जैविक खेती करने वाले किसान भाई मिट्टी की जांच कराकर मिट्टी के जैविक गुणों का पता लगा सकते हैं. और उसी के आधार पर जैविक पोषक तत्वों का इस्तेमाल पूरी तरह से जैविक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। मिट्टी में कई पोषक तत्व होते हैं जैसे कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश , कैल्सिशयम, मैग्नीशियम और सूक्ष्म तत्वों जैसे जस्ता , मैग्नीज, तांबा, लौह, बोरोन, मोलिबडेनम और क्लोरीन इत्यादि अगर इन सबकी मौजूदगी मिट्टी में संतुलित रूप में रहती है तो इससे अच्छी पैदावार प्राप्त होती है। मिट्टी में इन तत्वों की कमी के कारण मिट्टी की उर्वरक शक्ति कम होने लगती है।
    मिट्टी जांच के फायदे
    सघन खेती के कारण खेत की मिट्टी में उत्पन्न विकारों की जानकारी समय समय पर मिलती रहती है। मिट्टी में विभिन्न पोषक तत्वों की उपलब्धता की दशा का ज्ञान हो जाता है। बोयी जाने वाली फसल के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है। संतुलित उर्वरक प्रबन्ध द्वारा अधिक लाभ कमा सकते है।
    मिट्टी जांच कब करानी चाहिए
    मिट्टी की जांच के समय ध्यान देना चाहिए की भूमि में नमी की मात्रा कम से कम हो। फसल की बुवाई या रोपाई से एक महीना पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं। अगर आप सघन पद्धति से खेती करते हैं तो हर वर्ष मिट्टी की जांच करवानी चाहिए। यदि खेत में वर्ष में एक फसल की खेती की जाती है तो हर 2 या 3 साल में मिट्टी की जांच करा लें।
    मिट्टी की जांच कैसे करे
    एक एकड़ क्षेत्र में लगभग 8-10 स्थानों से ‘V’ आकार के 6 इंच गहरे गहरे गढ्ढे बनायें। एक खेत के सभी स्थानों से प्राप्त मिट्टी को एक साथ मिलाकर ½ किलोग्राम का एक नमूना बनायें। नमूने की मिट्टी से कंकड़, घास इत्यादि अलग करें। सूखे हुए नमूने को कपड़े की थैली में भरकर कृषक का नाम, पता, खसरा संख्या, मोबाइल नम्बर, आधार संख्या, उगाई जाने वाली फसलों आदि का ब्यौरा दें। नमूना प्रयोगशाला को प्रेषित करें अथवा’ ‘परख’ मृदा परीक्षण किट द्वारा स्वयं परीक्षण करें।

    July 16, 2021
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    बीज उपचार से जुडी मुख्य जानकारी

    बीज पौधे का वह भाग होता है जिसमें पौधों के प्रजनन की क्षमता होती है और जो मृदा के सम्पर्क में आने पर अपने जैसा ही एक नये पौधे को जन्म देता है। बीज फसल के दाने का पूर्ण या आधा भाग भी हो सकता है।
    यह बात बताने की जरुरत नहीं है की एक सफल, गुणवत्तापूर्वक, लहराती उपज के लिए उच्च कोटि का रोग रहित, स्वस्थ और उन्नत बीज की आवश्यकता होती है | बीज को निरोग और स्वस्थ बनाने के लिए बीज उपचार किया जाता है जिसमे बीज को अनुशंसित रसायन या जैव रसायन से उपचारित करना होता है | बीज उपचार से बीज में उपस्थित आन्तरिक या वाह्य रोगजनक जैसे फफूंद, जीवाणु, विषाणु एवं सूत्रकृमि और कीट नष्ट हो जाते है और बीजों का स्वस्थ अंकूरण तथा अंकुरित बीजों का स्वस्थ विकास होता है | साथ ही पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कलचर से भी बीज उपचार किया जाता है| बीज उपचार की सभी पहलुओं की जानकारी नीचे उपलब्ध है|
    बीज उपचार का महत्त्व इसलिए भी है की यह प्रारंभ में ही बीज जनित रोगों और कीटों का प्रभाव न्यून या रोकने में मददगार है| यदि पौधों की वृद्धि के बाद इनको रोकने का प्रयास किया जाये तो इससे अधिक खर्च भी होगा और क्षति भी अधिक होगी| बीजों में अंदर और बाहर रोगों के रोगाणु सुशुप्ता अवस्था में, मिट्टी में और हवा में मौजूद रहते हैं| ये अनुकूल वातावरण के मिलने पर उत्पन्न होकर पौधों पर रोग के लक्षण के रूप में प्रकट होते हैं| फसल में रोग के कारक फफूंद रहने पर फफूंदनाशी से, जीवाणु रहने पर जीवाणुनाशी से, सूत्रकृमि रहने पर सौर उपचार या कीटनाशी से उपचार किया जाता है| मिट्टी में रहने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए भी कीटनाशी से बीजोपचार किया जाता है| इसके अतिरिक्त पोषक तत्व स्थिरीकरण के लिए जीवाणु कलचर जैसे राइजोवियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरीलम, फास्फोटिका और पोटाशिक जीवाण से भी बीजोपचार किया जाता है|
    बीज उपचार बहुत ही सस्ता और सरल उपचार है| इसे कर लेने पर लागत का ग्यारह गुणा लाभ और कभी-कभी महामारी की स्थिति में 40 से 80 गुणा तक लागत में बचत सम्भावित है|

    बीज उपचार करने के लिए रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा कैसे तय करे
    रोग नियंत्रण हेतु
    जैव रसायन द्वारा-

    1. ट्राइकोडर्मा- 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
    2. स्यूडोमोनास- 4 से 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
      रसायन द्वारा-
    3. कार्बेन्डाजीम या मैंकोजेव या बेनोमील- 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
    4. कैप्टान या थीरम- 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
    5. फनगोरेन- 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
    6. ट्रायसाइक्लोजोल- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज

    कीट नियन्त्रण हेतु-

    1. क्लोरपायरीफॉस- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज
    2. इमीडाक्लोप्रीड या थायमेथोक्साम- 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज
    3. मोनोक्रोटोफास- 5 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज (सब्जियों को छोड़कर)

    पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु-

    1. नेत्रजन स्थिरीकरण हेतु- राइजोबियम, एजोटोबेक्टर और एजोस्पाइरील- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज
    2. फास्फोरस विलियन हेतु- पी. एस. वी. (फास्फोवैक्टिरीया) 250 ग्राम प्रति 12 किलोग्राम बीज
    3. पोटाश स्थिरीकरण हेतु- पोटाशिक जीवाणु- 250 ग्राम प्रति 10 से 12 किलोग्राम बीज

    बीज उपचार निम्न ४ विधियों से किया जा सकता है -

    1. सुखा बीजोपचार
    2. भीगे बीजोपचार
    3. गर्म पानी बीजोपचार
    4. स्लरी बीजोपचार
      बीज उपचार विधि
      सुखा बीज उपचार-
      बीज को एक बर्तन में रखें, उसमें रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा में मिलायें, बर्तन को बन्द करें और अच्छी तरह हिलाएँ|
      भीगे बीज उपचार-
      पालीथीन चादर या पक्की फर्श पर बीज फैला दें, अब हल्का पानी का छिड़काव करें, रसायन या जैव रसायन अनुशंसित मात्रा में बीज के ढेर पर डालकर उसे दस्ताना पहने हाथों से अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखा लें|
      गर्म पानी उपचार-
      किसी धातु के बर्तन में पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करें, बीज को 30 मिनट तक उस बर्तन में डालकर छोड़ दें, उपरोक्त तापक्रम पूरी प्रक्रिया में बना रहना चाहिए, बीज को छाया में सुखा लें उसके बाद बुआई करें|
      स्लरी या घोल बीज उपचार-
      स्लरी (घोल) बनाने हेतु रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को 10 लीटर पानी की मात्र में किसी टब या बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिला लें| अब इस घोल में बीज, कंद या पौधे की जड़ों को 10 से 15 मिनट तक डालकर रखें, फिर छाया में बीज या कंद को सुखा ले तथा बुआई या रोपाई करें|

    बीज उपचार से जुडी कुछ सावधानिया -

    1. बीजों में जीवाणु कलचर से बीज उपचार करने के लिए सर्वप्रथम 100 ग्राम गुड़ को 1 लीटर पानी में उबाल लेते हैं, जब यह एक तार के चासनी जैसा बन जाए, तब इसे ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, जब घोल पूरी तरह ठंडा हो जाए, तब इसमें 250 ग्राम कलचर को ठीक से मिला दिया जाता है| अब इस मिश्रित घोल को बीज के ढेर पर डालकर अच्छी तरह मिलाकर बुआई कर सकते हैं|
    2. राइजोबियम कल्चर फसलों की विशेषता के आधार पर किये जाते हैं, इसलिए विभिन्न वर्गों के राइजोबियम को दिये गये फसलों के अनुसार ही उपयुक्त मात्रा में इन्हें प्रयोग किया जाना चाहिए|
    3. कल्चर से उपचारित बीज की बुआई शीघ्र करना चाहिए|
    4. बीजों पर यदि जीवाणु कल्चर प्रयोग के साथ-साथ फफूंदनाशी या कीटनाशी रसायनों का प्रयोग करना हो तब सबसे पहले फफूदनाशी का प्रयोग करे फिर कीटनाशी और जीवाणु कलचर का प्रयोग करे और सबके बीच 8 से 10 घंटे का अंतर रखे और उसके उपरान्त एवं अन्त में 20 घंटे के बाद जीवाणु कलचर से बीज उपचार करना चाहिए|
    5. यदि जीवाणु कलचर प्रयोग के साथ-साथ फफूंदनाशी और कीटनाशी रसायन का प्रयोग अनिवार्य हो तब कलचर की मात्रा दोगुनी करनी पड़ेगी| यदि कलचर पहले प्रयोग में लाया गया है, तो फफूंदनाशी और कीटनाशी रसायनों का इस्तेमाल न करें तो ज्याद अच्छा होगा|
    6. बीज को कभी भी उपचार के बाद धूप में नही सुखायें, यानि उपचारित बीज को सुखाने के लिए खुला परन्तु छायादार जगह का प्रयोग करें|
    7. बीज को उपचारित करते समय हाथ में दस्ताना पहनकर ही बीज उपचार करें, यदि थिरम से बीज उपचार करना हो तो आँखों पर चश्मा का प्रयोग करें, क्योंकि थीरम को पानी में मिलाने पर गैस निकलती है, जो आँखों में जलन पैदा करती हैं|
    8. किसी कारण से यदि रसायन या जैव रसायन का फफूंदनाशी या कीटनाशक उपलब्ध न हो तो घरेलू विधि में ताजा गौ-मूत्र 10 से 15 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज के द्वारा भी बीज उपचार कर सकते हैं|
    July 7, 2021
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