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गांव की कला-संस्कृति हमारी पूंजी !!

राष्ट्रीय किसान मंच

भारतीय ग्राम जीवन फिर कभी अपना वैभवशाली इतिहास दोहरा पाएगा?

ग्राम

भारतीय ग्राम जीवन शैली मंद गति की नदी और मंद हवा की तरह सुहावनी व्यवस्था का मूल थी जहां सृजन और कलाओं की समृद्धि थी. लोगों के पास चिंतन-सृजन और सोचने का भरपूर अवकाश था. लेकिन आज हम भूल चुके हैं कि हम वास्तव में कौन हैं, और अतीत में क्या थे?

April 12, 2021
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किसान का श्रममूल्य

ग्राम

चुनो मगर ये सोचकर की भविष्य आपके बच्चों का है उनके रोज़गार का है मज़दूर के हक़ का है समय पर भुगतान का है ,किसान की मेहनत का है और फसल के सही मूल्य का है बढ़ती महंगाई क्यू है जब देश के ९०% जनता को उसकी मेहनत का कोई सही मूल्य नहीं मिलता ।

मनुष्य को दिनभर काम के बदले मिलने वाला परिश्रम मूल्य उसके परिवार का पोषण मूल्य प्राप्त करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए जिससे उसके परिवार की आहार, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि बुनियादी आवश्यकताएं पूरी हो सके। भारत में संगठित क्षेत्र में 5 लोगों के परिवार के पोषण के लिए कैलोरीज के आधार पर श्रम मूल्य निर्धारित होता है। 2,400 किलो कैलोरी के आधार पर 1 दिन की मजदूरी निर्धारित की जाती है। काम अगर कुशल श्रम के श्रेणी में हो तो इसके लिए अतिरिक्त मजदूरी आंकी जाती है। कठिन परिश्रम के लिए 2,700 किलो कैलोरी की आवश्यकता मानी गई है।

उद्योग जगत में वस्तु का उत्पादन मूल्य निर्धारित करते समय कर्मकारों की मजदूरी, लागत खर्च, प्रबंधन, व्यवस्थापन मूल्य के साथ मुनाफा जोड़ा जाता है जिससे उद्योग को एक उत्पादक के नाते आमदनी प्राप्त होती है। प्रत्येक मनुष्य को अपने परिवार की बुनियादी आवश्यकताएं पूरी करने के लिए आजीविका मूल्य प्राप्त करना उसका मौलिक अधिकार है।

किसान कुशल श्रमिक, प्रबंधक और उत्पादक है। खेती में शारीरिक श्रम के साथ बौद्धिक श्रम करने पड़ते हैं इसलिए वह कुशल कार्य है। पूर्व मशागत, बुआई से फसल निकलने और बिक्री तक प्रबंधन, व्यवस्थापन, फसल की सुरक्षा आदि उत्पादक के सभी कार्य करने पड़ते हैं। कुशल श्रमिक, प्रबंधक और उत्पादक के नाते आमदनी प्राप्त करना उसका मौलिक अधिकार है और इस अधिकार का संरक्षण करने के लिए नीति निर्धारण करना लोक कल्याणकारी सरकार की जिम्मेदारी है।

April 12, 2021
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किसानों की लाचारगी

ग्राम

किसान और नेताओं के बीच में बात और बहस तो पिछले कई महीनो से चल रही है भारत का भोला भाला इज़्ज़त से दो रोटी कमाने वाला किसान कभी सरकार से मदद की उम्मीद करता है और कभी उन आंदोलनकारियों को देख के उम्मीद थामता है | पर इन सब से न तो सरकार का नुकसान होता है और न ही किसी नेताओं का, नुकसान होता है तो सिर्फ उस भोले भाले किसान का जिसे सिर्फ नसीब की दो रोटी के लिए दिन भर धुप भरे खेत में रहना पड़ता है | सरकार को अभी भी इन किसानों की लाचारगी नहीं दिख रही है!

March 27, 2021
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गाँवों में साफ-सफाई को लेकर आई जागरूकता

ग्राम

देश के गाँवों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता की एक नई लहर उठने लगी है। जो काम वहाँ अब तक नहीं हुए थे, वो अब हो रहे हैं। बड़ी तादाद में देश के लाखों गाँव शौचालयों से युक्त हो रहे हैं, सेनिटेशन की एक नई अवधारणा लोगों की समझ में आने लगी है- सबसे बड़ी बात जो दो-तीन वर्षों में हुई है, वो ये है कि लोगों की अच्छी तरह समझ में आ गया है कि खुले में शौच करना किसी भी लिहाज से उचित नहीं। इसी तरह पानी की स्वच्छता को लेकर नई समझ विकसित हो रही है।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी कहते थे कि हमारे देश की आत्मा गाँवों में बसती है। अगर असल देश के दर्शन करने हों तो बस कहीं नहीं, गाँवों में घूम आइये। वैसे ये भी सही है कि भारत को छोड़ दुनिया में शायद कोई ऐसा देश होगा, जहाँ इतनी प्रचुर संख्या में गाँव होंगे और जो संस्कृति से लेकर कृषि और विविध संस्कृति की एक समृद्ध और रंगबिरंगी तस्वीर पेश करते होंगे। आज भी जब गाँवों की बात होती है तो वहाँ के हरे-भरे खेत, शुद्ध आबोहवा और प्रकृति के साथ तालमेल की अलग ही मनोरम तस्वीर उभरती है। ये तस्वीर अब और बेहतर हो रही है क्योंकि देश के गाँवों में स्वच्छता के प्रति एक नई लहर उठने लगी है। जो काम वहाँ अब तक नहीं हुए थे, वो अब हो रहे हैं। बड़ी तादाद में देश के लाखों गाँव शौचालय से युक्त हो रहे हैं, सेनिटेशन की एक नई अवधारणा लोगों की समझ में आने लगी है- सबसे बड़ी बात जो इन दो-तीन वर्षों में हुई है, वो ये है कि लोगों की अच्छी तरह समझ में आ गया है कि खुले में शौच करना किसी भी लिहाज से उचित नहीं। इसी तरह पानी की स्वच्छता को लेकर नई समझ विकसित हो रही है। अब गाँव जाने पर ये दिखने लगा है कि किस तरह ज्यादातर घरों में या तो पक्के शौचालय बन चुके हैं या फिर बन रहे हैं।

March 27, 2021
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आजादी के बाद भारत में ग्रामीण विकास के कार्यक्रम

ग्राम

भारत गांवों का देश है और उसमें से लगभग आधे गांवों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। आजादी के बाद से ग्रामीण जनता का जीवन स्तर सुधारने के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं, इसलिए सभी पंचवर्षीय योजनाओं में गरीबी उन्मूलन की सर्वोपरी चिंता रही है। ग्रामीण विकास कार्यक्रम में मुख्य जोर रोटी,कपडा, मकान, बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य पर रहा है |

भारत के ग्रामीण विकास कार्यक्रमों में निम्न विषयों का समावेश है:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं जैसे स्कूल, स्वास्थ्य सुविधाओं, सड़क, पेयजल, विद्युतीकरण आदि का प्रावधान |
  • ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता में सुधार |
  • सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए सामाजिक सेवाओं जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा का प्रावधान
  • कृषि उत्पादकता बढ़ाकर, ग्रामीण रोजगार उपलब्ध कराकर ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं को लागू करना |
  • ऋण और सब्सिडी के माध्यम से उत्पादक संसाधन उपलब्ध कराकर गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तिगत परिवारों और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के लिए सहायता  |
March 26, 2021
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अजीब कहानी है ये किसान की ज़िन्दगी की वो पूरे देश को खिला रहा है पर उसके खुद के पास खाने को दो वक़्त की रोटी नहीं है।

ग्राम

भारतीय किसान गरीब है। उनकी गरीबी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। किसान को दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पाता। उन्हें मोटे कपड़े का एक टुकड़ा नसीब नही हो पाता है। वह अपने बच्चों को शिक्षा भी नहीं दे पाते। वह अपने बेटे और बेटियों का ठीक पोशाक तक खरीद कर नहीं दे पाते। वह अपनी पत्नी को गहने पहऩऩे का सुख नहीं दे पाते। किसान की पत्नी कपड़े के कुछ टुकड़े के साथ प्रबंधित करने के लिए है। वह भी घर पर और क्षेत्र में काम करती है। वह गौशाला साफ करती, गाय के गोबर बनाकर दिवारो पर चिपकाती और उन्हें धूप में सूखाती। वह गीले मानसून के महीनों के दौरान ईंधन के रूप में उपयोग होता। भारतीय किसान को गांव के दलालों द्वारा परेशान किया जाता है। वह साहूकार और कर संग्राहकों से परेशान रहते इसलिए वह अपने ही उपज का आनंद नहीं कर पाते हैं। भारतीय किसान के पास उपयुक्त निवास करने के लिए घर नहीं होता। वह भूसे फूस की झोपड़ी में रहते है। उसका कमरा बहुत छोटा है और डार होता। जबकी बड़े किसानों का बहुत सुधार हुआ है, छोटे भूमि धारकों और सीमांत किसानों की हालत अब भी संतोषजनक से भी कम है।

पुराने किसानों की अधिकांश अनपढ़ आदि ज्यादा पढी-लिखी नहीं थी लेकिन नई पीढ़ी के अधिकतर किसान शिक्षित हैं। उनके शिक्षित होने के नाते उन्हें बहुत मदद मिलती है। वे प्रयोगशाला में अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवा लेते है। इस प्रकार, वे समझ जाते की उनके क्षेत्रों में सबसे ज्यादा फसल किसकी होगी। भारतीय किसान सरल संभव तरीके से सामाजिक समारोह मनाता है। वह हर साल त्योहार धूम से मनाते है। वह अपने बेटे और बेटियों की शादी का जश्न भी धूम से मनाते। वह अपने परिजनों और दोस्तों और पड़ोसियों के मनोरंजन भी करने में कसर नहीं छोडते।

March 26, 2021
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किसान की कोई सुनवाई नहीं

ग्राम

कितनी अजीब बात है कि 21 सदी मै भी किसान की कोई सुनवाई नहीं है किसान जैसा पहले था वैसे ही आज भी है कितने किसान आज भी आत्महत्या करने को मजबूर है । क्यू ? ऐसा क्यू है आज भी ? क्यू हर बार यही लोग आत्महत्या करने को मजबूर होते है आज भी इन लोगो की दशा दयनीय है । लोग कहते हैं की देश को सरकार चलाती है लेकिन असल में देखो देश इन लोगो से चलता है और इन ही लोगो की देश मै कोई कद्र नहीं है । जब तक इन लोगो के बारे में नहीं सोचा जाएगा तब तक देश को मजबूत बनाने में कोई फायदा नहीं।

March 26, 2021
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गांव में ही रहकर तरक्की की इबारत लिख रहे श्रमिक

ग्राम

सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर अपने घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों का जोश और जज्बा कहीं से कम नजर नहीं आ रहा। हर कोई गांव में ही रहकर तरक्की की इबारत लिखने के सपने बुन रहा है। आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रमिकों ने मनरेगा का हाथ थामा है तो कोई अपने बूते कुछ करने के लिए राह तलाश रहा है। श्रमिकों को लॉकडाउन के कारण भारी परेशानियों से जूझना जरूर पड़ा। मगर ये चुनौतियां इन मेहनतकशों की हिम्मत न डिगा सकी। वापस लौटे ये लोग फिर नए सिरे से अपने गांव में ही किस्मत आजमाने निकल पड़े हैं। मनरेगा में रोजगार तलाश रहे ये मजदूर भविष्य की नई गाथा लिखने को बेताब हैं।

March 26, 2021
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गाँव और शहर में अंतर

ग्राम

गाँव को मुख्य रूप से पिछड़ा इलाका माना जाता है और वहीँ शहर को विकसित इलाका माना जाता है। गाँव और शहर के जीवन में कई अंतर हैं। दोनों अपने आप में जीवन को एक अलग रूप में प्रस्तुत करते हैं। गाँव में भोजन और कपड़ा बनता है, वहीँ शहर में ज्ञान और विज्ञान विकसित होता है। कई लोगों का मानना है कि गाँवों का जीवन शहर के मुकाबले बहुत खराब होता है। हालाँकि यह सच है कि पिछले काफी समय में गाँवों और शहरों के बीच फैसला बहुत बढ़ गया है, लेकिन अब भी कई मामलों में गाँव शहर से बेहतर हैं। उदाहरण के तौर पर, गाँवों में साफ़ पानी और हवा लोगों को मिलती है। गाँवों में प्रदुषण की मात्रा बहुत कम होती है। इसके अलावा लोगों को खाने के लिए शुद्ध भोजन मिलता है, क्योंकि वे खुद इसे अपने हाथों से उगाते हैं। और जितना गांव में शांत वातावरण देखने को मिलता हैं उतना शहर में नहीं बल्कि वहां का वातावरण बहुत प्रदूषित होता हैं !

गाँव का जीवन :

गाँव का जीवन बिलकुल साधारण और सीधा होता है। गाँव में किसी प्रकार की भीड़ या जल्दबाजी नहीं होती है। चारों और शान्ति रहती है।गाँव में लोग सीधे तौर पर प्रकृति से जुड़े होते हैं। यहाँ लोगों का ज्यादातर समय अपने खेतों और घरवालों के साथ बीतता है।गाँव में लोग बड़ी मात्रा में भक्ति आदि से जुड़े होते हैं। यहाँ के लोग हर त्यौहार आदि को पुरे हर्ष-उल्लास के साथ मनाते हैं।यदि साधारण जरूरतों की बात करें, तो गाँव के लोगों को शुद्ध वायु मिलती है। इसके अलावा यहाँ के लोगों को साफ़ पानी और शुद्ध भोजन और सब्जियां मिलती हैं। गाँव के लोग अपने हाथ से खेतों में सब्जियां और फल उगाकर खाते हैं।

शहर का जीवन:

शहर एक प्रकार से विकसित और जगमगाता प्रतीत होता है। शहर में ऊँची-ऊँची इमारतें, लम्बी-चौड़ी सड़कें, शौपिंग मॉल, लाइट आदि होती हैं। इसके अलावा सड़कों के दोनों और अच्छी अच्छी दुकानें और अन्य प्रकार की कई सेवाएं उपलब्ध रहती हैं। शहरों में ऐसा लगता है कि लोग हर समय जागते रहते हैं। रात में भी सड़कों पर चहल पहल रहती है, जो गाँवों में नहीं होती है। शहर के लोग पढ़े लिखे होते हैं और बच्चों के पढने के लिए अच्छी अच्छी स्कूल और कॉलेज होते हैं। शहरों में बड़े बड़े अस्पताल और अन्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध रहती हैं। यहाँ लोग ज्यादा मेहनत करते हैं और ज्यादा ही खर्च करते हैं। इन सबके अलावा भी शहरों में रहने के कुछ नुकसान भी हैं। मुख्य तौर पर शहर में प्रदुषण बहुत होता है। इस कारण से यहाँ की वायु और पानी दूषित हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। शहर में गरीब व्यक्ति नहीं रह पाता है, क्योंकि यहाँ बहुत महंगाई रहती है।

March 26, 2021
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सफल किसान है, उन्नतशील किसान

ग्राम

किसान को यदि धरती का भगवान कहा जाय तो यह अतिश्योक्ति नही होगी क्योंकि किसान ही इस धरती पर ऐसा इन्सान है जो धरती से अन्न उपजाता है तो हर किसी के लिए जीवन जीने के लिए खाने के लिए भोजन उगाता है और हमारे भारतीय संस्कृति में किसान को “धरती का अन्नदाता” कहा गया है लेकिन औद्योगिक क्रांति के बाद विकास की अंधी दौड़ में आज का किसान समय के साथ कही न कही पिछड़ गया है!

March 22, 2021
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Rashtriya Kisan Manch

Tweets by orgrkmkisan

आयुर्वेद

गिलोय वायरल फीवर से राहत दिलाने में मददगार

एक अंगुल मोटी या 4-6 लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी में उबालें। 100 मि.ली. शेष रहने तक इसे उबालें और पिएँ। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है तथा बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम व बुखार नहीं होते।

वायरल फीवर से बचाव के उपाय :

अब तक आपने वायरल फीवर होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर यानि जीवनशैली में और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं।

  • खाने में उबली हुई सब्जियां, हरी सब्जियां खाना चाहिए।
  • दूषित पानी एवं भोजन से बचें।
  • पानी को पहले उबाल कर थोड़ा गुनगुना ही पिएँ।
  • वायरल बुखार से ग्रस्त रोगी के सम्पर्क में आने से बचें।
  • मौसम में बदलाव के समय उचित आहार-विहार का पालन करें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनायें रखने के लिए आयुर्वेदिक उपचार एवं अच्छी जीवन शैली को अपनायें।
March 26, 2021
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दालचीनी के फायदे

आपने दालचीनी का नाम जरूर सुना होगा। आमतौर पर लोग दालचीनी का प्रयोग केवल मसालों के रूप में ही करते हैं, क्योंकि लोगों को दालचीनी के फायदे के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।आयुर्वेद में दालचीनी को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि के रूप में बताया गया है। आयुर्वेद के अनुसार, दालचीनी के इस्तेमाल से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।

पतंजलि के अनुसार, दालचीनी के सेवन से पाचनतंत्र संबंधी विकार, दांत, व सिर दर्द, चर्म रोग, मासिक धर्म की परेशानियां ठीक की जा सकती हैं। इसके साथ ही दस्त,और टीबी में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है।

दालचीनी से अन्य फायदे:-

  1. हिचकी की परेशानी दूर करना !
  2. भूख को बढ़ाना !
  3. भूख को बढ़ाना !
  4. दाँत के दर्द के लिए !
  5. उल्टी को रोकने के लिए !

March 19, 2021
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पाचनतंत्र और गैस की समस्या

आयुर्वेद में यह बताया गया है कि अजमोदादि चूर्ण को सबसे अच्छा पाचक माना गया है। अजमोदादि चूर्ण भूख को बढ़ाता है, पाचनतंत्र को ठीक करता है और पेट की गैस की समस्या से आराम दिलाता है। अजमोदादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है। दर्दों से मुक्ति के लिए यह पतंजलि द्वारा दी जाने वाली यह एक प्रमुख औषधि है। इसे विभिन्न पादपों के जड़, तने, फूल, पत्तों आदि के मिश्रण से तैयार किया जाता है। अजमोदादि चूर्ण सभी प्रकार के दर्द ख़त्म करता है तथा वायु को शान्त करता है। यह कफ दोष को भी नष्ट करता है।

अजमोदादि चूर्ण के फायदे:-

  1. जोड़ों का दर्द एक ऐसी बीमारी है जिससे हजारों लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण लोगों को जोड़ों में बहुत तकलीफ झेलनी पड़ती है। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए आप अजमोदादि चूर्ण का उपयोग कर सकते हैं। यह आपको जोड़ों के दर्द से राहत पहुंचाता है।
  2. शरीर के किसी अंग में सूजन हो गई हो तो अजमोदादि चूर्ण से लाभ मिलता है। इसके लिए आप किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से यह सलाह जरूर लें कि सूजन के लिए अजमोदादि चूर्ण का कैसे इस्तेमाल करना है।
  3. यह पाचनतंत्र में सुधार लाता है। यह पेट की गैस की समस्या को ठीक करता है। इस परेशानी के लिए अजमोदादि चूर्ण का सेवन करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
  4. अजमोदादि चूर्ण दर्द के लिए रामबाण औषधि है। आप सायटिका में भी अजमोदादि चूर्ण का प्रयोग कर सकते हैं। इससे फायदा होता है।
March 19, 2021
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कृषी यन्त्र

गेहूं के कटाई के लिए उपकरण

किसान और सरकार चाहते हैं कि देशभर में फसलों की पैदावार और उनकी गुणवत्ता में बढ़ोत्तरी हो, क्योंकि इससे किसान और सरकार, दोनों को लाभ होगा !मगर यह तभी संभव हो पाएगा, जब फसल उत्पादन का काम कम लागत में संपन्न हो!इसका एक मात्र विकल्प यह है कि आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग किया जाए, ताकि समय, श्रम और लागत की बचत हो पाए ! इससे किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिल सकेगा! ऐसे में आज हम ऐसे आधुनिक 2 कृषि यंत्रों के बारे में बताएंगे, जो कि गेहूं की कटाई को आसान बना देते हैं!

ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर:

यह मशीन किसानों के लिए बहुत उपयोगी है! इसमें भी कटर बार से पौधे कटे जाते हैं फिर पुलों में बंध  जाते हैं! इसके बाद संचरण प्रणाली द्वारा एक और गिरा दिया जाता है !खास बात यह है कि इस मशीन की मदद से कटाई और बंधाई का कार्य बहुत सफाई से होता है!

स्वचालित वर्टिकल कनवेयर रीपर:

छोटे और मध्यम किसानों के लिए गेहूं की कटाई करने के लिए यह बहुत उपयोगी मशीन है! इस मशीन में आगे की ओर एक कट्टर बार लगी होती है, तो वहीं पीछे संचरण प्रणाली लगी होती हैं!इसके साथ ही रीपर में लगभग 5 हॉर्स पावर का एक डीजल इंजन लगा होता है, जो कि पहियों और कटर बार के लिए शक्ति संचरण का कार्य करता है

कैसे करते हैं गेहूं की कटाई:

किसान को फसल कटाई के लिए कटर बार को आगे रखकर हैंडिल से पकडक़र पीछे चलना होता है. कटर बार गेहूं के पौधों को काटती हैं. इसके साथ ही संचरण प्रणाली द्वारा पौधे एक लाइन में बिछा दिए जाते हैं, जिनको श्रमिकों द्वारा इकट्ठा कर लिया जाता है.

March 26, 2021
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मोटर संचालित क्राप कटर मशीन

कृषि में जहाँ किसान पहले वर्ष में एक या दो फसल ले पाते थे वही अब कृषि यंत्रों की मदद से कम समय में कृषि कार्यों को पूर्ण करके तीन फसलें लेने लगे हैं | कृषि यंत्र से जहाँ कम समय में कार्य पूर्ण हो जाते हैं वही इससे फसल उत्पदान की लागत भी कम होती है खासकर छोटे कृषि यंत्रों से | भारत में छोटे एवं मध्यवर्गीय किसानों के लिए छोटे कृषि यंत्रों को विकसित किया जा रहा है | सरकार द्वारा इनके उपयोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है जिसके लिए सरकार द्वारा इन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी भी दी जाती है | छोटे किसानों के बीच इन छोटे कृषि उपकरणों को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है, जिससे कृषि श्रमिकों और किराए की मशीनों पर उनकी निर्भरता कम की जा सके | किसान समाधान गेहूं कटाई के समय को देखते हुए कटाई के लिए उपयुक्त मोटर संचालित क्रॉप कटर की जानकारी लेकर आया है |

मोटर संचालित क्राप कटर:

क्राप कटर मशीन पके हुए गेहूं को जमीन से लगभग 15 से 20 से.मी. की ऊँचाई से काट सकती है | क्रॉप कटर से काटने की चोडाई 255 सेमी तक होती है वहीँ इसमें 48 से 50 सीसी की शक्ति से चल सकती है | इसका बजन 8 किलो से लेकर 10 किलोग्राम तक होता है | यह पेट्रोल से चलने वाला यंत्र है जिसमें एक बार में 1.2 लीटर पेट्रोल तक भरा जा सकता है | मशीन में एक गोलाकार आरा ब्लेड, विंडरोइंग सिस्टम, सेफ्टी कवर, कवर के साथ ड्राइव शाफ़्ट, हैंडल, ऑपरेटर के लिए हैगिंग बैंड पेट्रोल टैंक, स्टार्टर नांब , चोक लीवर और एयर क्लीनर होते हैं | ब्लेड, इंजन द्वारा संचालित एक लंबी ड्राइव शाफ़्ट के माध्यम से घूमता है | 25 से.मी. की ऊँचाई और 12 से.मी. के ब्लेड त्रिज्या के बराबर आधे बेलन के आकार की एक एलुमिनियम शीट को काटने वाले ब्लेड के उपरी भाग में फिट किया जाता है | फसलों को इकट्ठा करने में आसानी के लिए एक समान पंक्ति बनाने के लिए एक गार्ड लगाया जाता है |

क्राप कटर मशीन में ब्लेड का उपयोग फसल के अनुसार करें :

मोटर संचालित क्राप कटर मशीन में ब्लेड का उपयोग फसल के पौधे के अनुसार किया जा सकता है | ज्यादा दांत वाले ब्लेड का उपयोग मोटे तथा कड़क पौधे की कटाई के लिए किया जाता है तथा कम दांत वाले ब्लेड का उपयोग मुलायम तथा पतले पौधे के लिए किया जाता है |

दांतों की संख्या तथा उसका उपयोग :

120 दांत वाले ब्लेड का उपयोग – 120 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग गेहूं, मक्का आदि फसलों की कटाई के लिए किया जाता है | 60 और 80 दंतों वाले ब्लेड का उपयोग – 60 तथा 80 दानों वाले ब्लेड का उपयोग चारा काटने के लिए किया जाता है | 40 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग – 40 दांतों वाले ब्लेड का उपयोग 2 इंच मोती वाले पौधे को काटने के लिए किया जाता है |

March 26, 2021
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ब्लेड हैरो

इस हैरो में माइल्ड स्टील का बना बाक्स की तरह का फ्रेम होता है तथा खरपतवार निकालने के लिए एक ब्लेड होती है, जिसमें लोहे के काँटे लगे होते हैं।

यंत्र को खींचने के लिए एक हरिस तथा एक हत्था लगा होता है। इस यंत्र के सभी भाग स्टील के बने होते हैं। यह एक जोड़ा बैलों की सहायता से खींचा जा सकता हैं। इसका ब्लेड थोड़ा अवतल होता हैं। इसकी सहायता से आलू एवं मूंगफली की खुदाई भी कर सकते हैं। ब्लेड घिसने के बाद बदला जा सकता है। इस यंत्र से देशी हल की तुलना में 24 प्रतिशत मजदूर की बचत, 15 प्रतिशत संचालन खर्च में बचत तथा 3-4 प्रतिशत उपज में बढ़ोतरी होती है।

उपयोग: इस यंत्र का मुख्य कार्य कतार में लगी हुई कपास, मक्का, शलजम इत्यादि फसलों की निकाई-गुड़ाई तथा आलू एवं मूंगफली की खुदाई करना है।

March 22, 2021
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ग्राम शिक्षा

किसानों के लिए कृषि के कुछ व्यवसाय
  • कृषि उपकरण किराया :- यदि आपके पास बेहतर कृषि के उपकरण मौजूद हैं या आपके पास उसे खरीदने के लिए पर्याप्त पूंजी हैं, तो आप इसे खरीद कर किराये पर चला सकते हैं. आप अपने इन उपकरणों को किसानों को किराये पर या पट्टे पर दे सकते हैं. और इस तरह से यह व्यवसाय आप कर सकते हैं!
  • पेड़ों के बीज की सप्लाई :- विभिन्न तरह के पेड़ों के बीज काट कर आप इसे लोगों को बेच कर भी व्यवसाय कर सकते हैं. क्योंकि आज बहुत से लोग नये पौधे लगाना चाहते हैं. तो ऐसे में यह व्यवसाय बहुत अच्छा हो सकता है!
  • फलों और सब्जियों का निर्यात :– फलों और सब्जियों के व्यापार को स्थानीय किसानों से एकत्र करके निर्यात शुरू कर सकते हैं. यह आसान कम्युनिकेशन के माध्यम से किया जा सकता है, जैसे एक टेलीफोनिक, वार्तालाप, इन्टरनेट कनेक्शन के साथ वाला कंप्यूटर आदि!
  • कृषि फार्म :- आप उचित पैसे लगाकर कृषि फार्म शुरू कर सकते हैं. आप स्थानीय मांग के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन कर सकते हैं, और उन्हें स्थानीय स्तर पर बेच सकते हैं. इसके अलावा यदि आप इसे दूर के क्षेत्रों के लिए करना चाहते हैं, तो आप डिस्ट्रीब्यूशन चैनलों के माध्यम से भी उत्पाद की सप्लाई कर सकते हैं!
  • फ़र्टिलाइज़र वितरण व्यवसाय :- इस व्यवसाय को मध्यम पूंजी का निवेश कर शुरू कर सकते हैं. यह ज्यादातर सरकार के नियंत्रण में होता है. इसलिए यह आपके लिए अच्छा साबित हो सकता है!
  • आर्गेनिक फार्म ग्रीन हाउस :– आर्गेनिक रूप से विकसित कृषि उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण इस कृषि व्यवसाय में वृद्धि हुई है. चूंकि देखा जाता है कि रसायनों और फ़र्टिलाइज़र्स के साथ उगायें जाने वाले खाद्य पदार्थों में कई हेल्थ रिस्क हो सकते हैं, इसलिए लोग आर्गेनिक खाद्य पदार्थ उगा कर आर्गेनिक फार्म ग्रीन हाउस शुरू कर सकते हैं!
  • खाद्य पदार्थों की थोक बिक्री :– आप ऐसे खाद्य पदार्थों की भी कटाई कर सकते हैं, जिन्हें चावल या मकई उत्पाद की तरह थोक में बेचा जा सकता है, इन उत्पादों को आप थोक में खाद्य उत्पादन कंपनियों को बेच सकते हैं!
  • हाइड्रोपोनिक रिटेल स्टोर :- यह एक नई वृक्षारोपण तकनीक है, जिसमें कमर्शियल और घरेलू उपयोग दोनों के लिए वृक्षारोपण के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है!
  • भोजन पहुँचाना :- यदि आप खाद्य पदार्थों को उगाते या बनाते हैं, तो आप स्थानीय उपभोक्ताओं को जो स्थानीय उत्पादों को खरीदना चाहते हैं, उन्हें आप ताज़ा खाद्य पदार्थ वितरित करने के लिए एक व्यवसाय का निर्माण भी कर सकते हैं!
  • फूलवाला :– इस व्यवसाय के लिए फूलों के उत्पादकों के साथ एक खुदरा स्थान और कनेक्शन की आवश्यकता होती है. यह सबसे अधिक लाभदायक खुदरा कृषि व्यवसाय के विकल्पों में से एक है, जो ग्राहकों को फूलों की डोरस्टेप डिलीवरी प्रदान करके ऑनलाइन भी किया जा सकता है!
  • आटा मिलिंग :– आप आटा मिल का व्यवसाय भी कर सकते हैं, इसमें अपने खुद के ब्रांड के नाम से उत्पाद स्थापित करना इस व्यवसाय में अत्यधिक लाभदायक है!
  • जड़ी बूटी का व्यवसाय :– कृषि के लिए तुलसी, पार्सले और इसी तरह की जड़ी बूटियाँ महान कृषि उत्पादों में से हैं. इसलिए आप इसे अपने घर या खेत में उगा सकते हैं. और बेच कर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं!
  • खेत की फसल :– सोयाबीन, लौंग और अन्य प्रकार की फसलों को उगाने के लिए उचित मात्रा में क्षेत्र की आवश्यकता होती है. अगर आपके पास जमीन है, तो आप इस तरह के खाद्य उत्पादकों को बेचने के लिए विशिष्ट फसलों की कटाई कर सकते हैं!
  • तितली की खेती :- अक्सर देखा जाता है कि तितलियों का उपयोग माली अपने पौधों की प्रोसेसेज एवं सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए करते हैं. ऐसे में यदि आप खुद की तितली कॉलोनी शुरू करते हैं और ऐसे ग्राहकों को टारगेट करते हैं जिन्हें इसकी आवश्यकता होती है तो इससे काफी अच्छा व्यवसाय शुरू हो सकता है!
  • प्लाटिंग सेवा :- यदि आपके पास अपना खुद का खेत नहीं है, लेकिन फिर भी आप फसल बुवाई करना जानते हैं, तो आप इस तरह के व्यवसाय पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं, जहाँ आप अपनी खुद की प्लाटिंग सेवा शुरू कर सकते हैं. इसके लिए आप अपने क्षेत्र के अन्य किसानों या उत्पादकों के साथ भी काम कर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं!
  • सूखे फूल का व्यवसाय :- फूलों का उत्पादन आज के कृषि में सबसे तेजी से बढने वाली फसल प्रवृत्तियों में से एक हैं. इस व्यवसाय में सभी प्रकार के फूलों की आवश्यकता होती हैं, जोकि विशेष रूप से यूनिक और हार्ड किस्मों के बढने के लिए जरुरी है!
March 27, 2021
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किस तरह की मिट्टी में कौन सी फसल उगानी चाहिए

दुनिया की ज्यादातर फसलें, फल और सब्जियां मिट्टी में होती हैं। लेकिन हर तरह की मिट्टी की एक खासियत होती है और उसमें उसके अनुरुप वाली ही फसलें उगती हैं। हमारे देश में एक कहावत है - मिट्टी का तन है मिट्टी में मिल जाएगा। इस बात से हमारी ज़िंदगी में मिट्टी की क्या उपयोगिता है ये समझ आ जाता है। कैल्शियम, सोडियम, एल्युमिनियम, मैग्नीशियम, आयरन, क्ले और मिनरल ऑक्साइड के अवयवों से मिलकर बनी मिट्टी वातावरण को संशोधित भी करती है। घर बनाने से लेकर फसल उगाने तक हमारी ज़िंदगी के लगभग हर काम में मिट्टी कहीं न कहीं ज़रूर होती है। किसी भी क्षेत्र में कौन सी फसल अच्छी तरह से हो सकती है ये बात बहुत हद तक उस क्षेत्र की मिट्टी पर निर्भर करती है। इकोसिस्टम में मिट्टी पौधे की वृद्धि के लिए एक माध्यम के रूप में काम करती है। यहां हम आपको बताएंगे कि देश के कौन से क्षेत्र में कौन सी मिट्टी होती है और उसमें कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं।

काली मिट्टी:

काली मिट्टी बेसाल्ट चट्टानों (ज्वालामुखीय चट्टानें) के टूटने और इसके लावा के बहने से बनती है। इस मिट्टी को रेगुर मिट्टी और कपास की मिट्टी भी कहा जाता है। इसमें लाइम, आयरन, मैग्नेशियम और पोटाश होते हैं लेकिन फॉस्फोरस, नाइट्रोजन और कार्बनिक पदार्थ इसमें कम होते हैं। इस मिट्टी का काला रंग टिटेनीफेरस मैग्नेटाइट और जीवांश (ह्यूमस) के कारण होता है। यह मिट्टी डेक्कन लावा के रास्ते में पड़ने वाले क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में होती है। गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और ताप्ती नदियों के किनारों पर यह मिट्टी पाई जाती है।


काली मिट्टी में होने वाली फसलें इस मिट्टी में होने वाली मुख्य फसल -: कपास है लेकिन इसके अलावा गन्ना, गेहूं, ज्वार, सूरजमुखी, अनाज की फसलें, चावल, खट्टे फल, सब्ज़ियां, तंबाखू, मूंगफली, अलसी, बाजरा व तिलहनी फसलें होती हैं।

लाल और पीली मिट्टी:
ये मिट्टी ये दक्षिणी पठार की पुरानी मेटामार्फिक चट्टानों के टूटने से बनती है। भारत में यह मिट्टी छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश के पूर्वी भाग, छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल के उत्तरी पश्चिम जिलों, मेघालय की गारो खासी और जयंतिया के पहाड़ी क्षेत्रों, नागालैंड, राजस्थान में अरावली के पूर्वी क्षेत्र, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक के कुछ भागों में पाई जाती है। यह मिट्टी कुछ रेतीली होती है और इसमें अम्ल और पोटाश की मात्रा अधिक होती है जबकि इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम और ह्यूमस की कमी होती है। लाल मिट्टी का लाल रंग आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण होता है, लेकिन जलयोजित रूप में यह पीली दिखाई देती है।

लाल और पीली मिट्टी में होने वाली फसलें -:चावल, गेहूं, गन्ना, मक्का, मूंगफली, रागी, आलू, तिलहनी व दलहनी फसलें, बाजरा, आम, संतरा जैसे खट्टे फल व कुछ सब्ज़ियों की खेती अच्छी सिंचाई व्यवस्था करके उगाई जा सकती हैं।

लैटेराइट मिट्टी:
लैटेराइट मिट्टी पहाड़ियों और ऊंची चट्टानों की चोटी पर बनती है। मानसूनी जलवायु के शुष्क और नम होने का जो परिवर्तन होता है उससे इस मिट्टी को बनने में मदद मिलती है। मिट्टी में अम्ल और आयरन ज़्यादा होता है और ह्यूमस, फॉस्फोरस, नाइट्रोजन, कैल्शियम की कमी होती है। इस मिट्टी को गहरी लाल लैटेराइट, सफेद लैटेराइट और भूमिगत जलवायी लैटेराइट में बांटा जाता है। लैटेराइट मिट्टी तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा और असम में पाई जाती है।

लैटेराइट मिट्टी में होने वाली फसलें -: लैटेराइट मिट्टी ज़्यादा उपजाऊ नहीं होती है लेकिन कपास, चावल, गेहूं, दलहन, चाय, कॉफी, रबड़, नारियल और काजू की खेती इस मिट्टी में होती है। इस मिट्टी में आयरन की अधिकता होती है इसलिए ईंट बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।

March 26, 2021
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अदल-बदल कर लगाएं फसल तो कीड़े नहीं कर पाएंगे नुकसान

मौसम दर मौसम फसलों में बदलाव करके कीटों से निपटा जा सकता है| साथ ही यह मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकता है!
दुनियाभर में फसलों पर तेजी से कीड़ों का हमला बढ़ता जा रहा है। अभी हाल ही में राजस्थान और गुजरात में टिड्डी दल के हमले ने भारी मात्रा में फसलों को नुकसान पहुंचाया था। वहीं, अफ्रीका के कई देशों में आर्मीवॉर्म ने खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था। पर वैज्ञानिकों ने उससे निपटने का एक रास्ता ढूंढ लिया है। उन्होंने एक नए शोध में कम्प्यूटेशनल मॉडल प्रस्तुत किया है। जिससे पता चला है कि क्रॉप रोटेशन के पैटर्न में बदलाव करके कीटों के खतरे से निपटा जा सकता है। साथ ही लम्बी अवधि के दौरान कीड़ों के हमले के समय भी एक अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।
क्रॉप रोटेशन के लाभ:
यह तकनीक हजारों सालों से इस्तेमाल की जा रही है। इससे पहले के अध्ययन भी बताते है कि क्रॉप रोटेशन करके कीड़ों को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही, यह मिट्टी की गुणवत्ता में भी सुधार कर सकता है और पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर सकता है। यह कीटनाशकों और उर्वरकों की आवश्यकता को कम कर देता है। अन्य शोध बताते हैं कि कीटों के विकास में मदद करने वाले पर्यावरण में बदलाव करके इनके विकास और वृद्धि को सीमित किया जा सकता है, क्योंकि एक ही तरह की फसलें इनके विकास में मददगार होती हैं।

March 26, 2021
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